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दक्षिण एशिया में राजनीतिक अस्थिरता: प्रमुख नेताओं का विस्थापन

दक्षिण एशिया में हाल के वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता ने कई प्रमुख नेताओं को निर्वासन या जेल की ओर धकेल दिया है। अशरफ गनी, इमरान खान, गोटबाया राजपक्षे, शेख हसीना और केपी शर्मा ओली जैसे नेता अब अपने-अपने देशों में संकट का सामना कर रहे हैं। जानें इन नेताओं की कहानी और दक्षिण एशिया में राजनीतिक उथल-पुथल के कारणों के बारे में।
 

दक्षिण एशिया में राजनीतिक संकट

दक्षिण एशिया हाल के वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता का केंद्र बन गया है, जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल शामिल हैं। इन देशों के प्रमुख नेताओं को या तो देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है या उन्हें अपने ही देश में कैद कर दिया गया है।


अशरफ गनी का निर्वासन

15 अगस्त 2021 को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी को तुरंत देश छोड़ना पड़ा। वे ताजिकिस्तान के रास्ते संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे और अबू धाबी में एक गुप्त स्थान पर निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।


इमरान खान की जेल यात्रा

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, जो 2018 में सत्ता में आए थे, अब जेल में हैं। मई 2023 में उन्हें अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए। जनवरी 2025 में उन्हें 14 साल की सजा सुनाई गई।


राजपक्षे परिवार का पतन

श्रीलंका में राजपक्षे परिवार का राजनीतिक वर्चस्व 2022 में आर्थिक संकट के कारण समाप्त हो गया। गोटबाया राजपक्षे को 'अरागलया' आंदोलन के बाद देश छोड़ना पड़ा। हालांकि, वे बाद में श्रीलंका लौट आए, लेकिन उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो गई।


शेख हसीना की शरण

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को इस्तीफा देना पड़ा। उन पर भ्रष्टाचार और निरंकुश शासन के आरोप लगे। उन्होंने हेलीकॉप्टर से भारत भागकर दिल्ली में शरण ली।


केपी शर्मा ओली का इस्तीफा

नेपाल में हाल ही में हुए जेन-जी आंदोलन ने राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया। 4 सितंबर 2025 को सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय ने युवाओं को सड़कों पर ला दिया। इस आंदोलन के दबाव में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।