दिल्ली उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय: 2020 के दंगों की सुनवाई में कोई नई शुरुआत नहीं
दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्णय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें 2020 के दिल्ली दंगों की सुनवाई को “नए सिरे से” शुरू नहीं करने का आदेश दिया गया है। यह निर्णय एक याचिका के बाद आया, जिसमें अभियोजन पक्ष और कई आरोपियों ने जज के अचानक स्थानांतरण पर आपत्ति जताई थी।क्या मामला है? फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर एक "बड़ी साजिश" का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने इस मामले में लगभग 17,000 पृष्ठों की चार्जशीट पेश की थी, जिसमें 20 व्यक्तियों को UAPA और IPC के तहत आरोपी बनाया गया, जिनमें शरीज़ील इमाम, उमर खालिद, और ताहिर हुसैन शामिल हैं।
इस मामले की सुनवाई पहले ASJ अमिताभ रावत द्वारा की जा रही थी, लेकिन हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने 135 जजों के स्थानांतरण का आदेश जारी किया, जिसके तहत ASJ समीर बाजपेई को भी स्थानांतरित किया गया।
नई सुनवाई क्यों रुकी? नए जज ASJ ललित कुमार को इस मामले की सुनवाई करनी थी। ट्रांसफर के बाद अभियोजन और बचाव पक्ष ने कहा कि उन्हें चार्जशीट और गवाह दस्तावेजों की पुनरावलोकन करनी पड़ेगी, जिससे सुनवाई में देरी होगी। इसके बाद, बिना किसी नई शुरुआत के, याचिका उच्च न्यायालय में दायर की गई, और अदालत ने जज के ट्रांसफर के आदेश को वापस ले लिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इससे चार्जशीट पर बहस “नए सिरे से” शुरू नहीं होगी।
इसका क्या मतलब है? समय की बचत: पहले से हुई सुनवाई के दस्तावेज और गवाहों को दोबारा पेश करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। न्यायिक स्थिरता: ट्रांसफर के कारण प्रक्रिया में कोई व्यवधान नहीं आएगा। तेज निर्णय की उम्मीद: दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि चार्जशीट पर बहस और निर्णय बिना देरी के आगे बढ़ेंगे। अभियोजन पक्ष ने दिन में 5 घंटे तक बहस की तैयारी के संकेत दिए हैं, और जुलाई की शुरुआत में बहस शुरू होने की संभावना है।