दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: क्या है आगे का रास्ता?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता में पीठ ने निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग को अस्वीकार कर दिया। अदालत ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा और विकास के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदूषण प्रबंधन का कार्य मुख्य रूप से केंद्र सरकार का है, न कि अदालत का।
वायु प्रदूषण पर अदालत की टिप्पणी
निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर अदालत ने कहा कि इससे लाखों श्रमिकों की आजीविका प्रभावित होगी, जिससे सामाजिक और आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकता है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि विकसित देशों के प्रदूषण मानक भारत जैसे विकासशील देशों पर लागू नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकारों को नुकसान पहुंचाए बिना प्रदूषण को कम करने की चुनौती महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 19 नवंबर तक दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण से निपटने के लिए एक स्थायी योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि अब केवल तात्कालिक उपायों से काम नहीं चलेगा, स्थायी समाधान आवश्यक है। इसके साथ ही, GRAP (ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान) को सख्ती से लागू करने की बात भी कही गई।
प्रदूषण मापने की प्रणाली पर सवाल
कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण मापने वाली प्रणाली पर भी सवाल उठाए। अमिकस क्यूरी ने बताया कि कई AQI मॉनिटरिंग मशीनें 999 से अधिक की रीडिंग नहीं दिखा सकतीं। कुछ स्थानों पर हवा की गुणवत्ता को बेहतर दिखाने के लिए पानी छिड़कने की कोशिश भी की जा रही है। अदालत ने कहा कि ये उपकरण दिल्ली जैसी गंभीर स्थिति के लिए उपयुक्त नहीं हैं। केंद्र, CPCB और CAQM से 19 नवंबर तक जानकारी मांगी गई है कि कौन से मॉनिटरिंग उपकरण लगाए गए हैं और उनकी क्षमता क्या है।
अगली सुनवाई की तारीख
एक याचिकाकर्ता ने कैलिफोर्निया मॉडल लागू करने और पूरे वर्ष GRAP-1 स्तर की पाबंदियों की मांग की थी, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया। अदालत ने कहा कि भारत की परिस्थितियां अलग हैं और उन्हें विकसित देशों से सीधे नहीं जोड़ा जा सकता। पराली जलाने पर पंजाब और हरियाणा की रिपोर्ट भी अदालत में पेश की गई।
मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पर्यावरण की रक्षा आवश्यक है, लेकिन इसके नाम पर लाखों लोगों की नौकरी छीनना उचित नहीं है। दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण से निपटने की जिम्मेदारी अब केंद्र सरकार को निभानी होगी।