दिल्ली के शिक्षकों का अपमान: मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर साधा निशाना
मनीष सिसोदिया की तीखी प्रतिक्रिया
मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर हमला किया: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में शिक्षकों को सरकारी आदेश से बुलाने पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त की है। उन्होंने इसे "शिक्षकों के पेशे का अपमान" बताते हुए इसे "शर्मनाक" और "चौंकाने वाला" कदम कहा। सिसोदिया ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह शिक्षा के क्षेत्र में कोई रुचि नहीं रखती और जानबूझकर जनता को अशिक्षित बनाए रखना चाहती है।
शिक्षकों को ताली बजाने के लिए बुलाया गया
सिसोदिया ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में दिल्ली में एक सड़क का उद्घाटन किया, जो कोई विशेष बात नहीं थी। लेकिन, इस कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों और शिक्षकों को मजबूर किया गया ताकि वे प्रधानमंत्री के फीता काटने के समय ताली बजा सकें। उन्होंने इसे शिक्षकों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कदम बताया और भाजपा से माफी मांगने की मांग की।
शिक्षकों का अपमान और राजनीति का गिरता स्तर
सिसोदिया ने एक पुरानी कहावत का हवाला देते हुए कहा, "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाए..." अब स्थिति यह है कि गुरु मंच से नीचे खड़ा है और गोविंद (प्रधानमंत्री) मंच पर भाषण दे रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब शिक्षकों की भूमिका केवल राजनीतिक आयोजनों में ताली बजाने तक सीमित रह गई है?
आप सरकार के दौरान शिक्षकों को विदेश भेजा गया
सिसोदिया ने बताया कि जब आम आदमी पार्टी की सरकार थी, तब शिक्षकों को विदेशों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता था। फिनलैंड, कैंब्रिज, और सिंगापुर जैसे संस्थानों में दिल्ली के शिक्षकों को भेजा जाता था। लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद, शिक्षकों का उपयोग केवल राजनीतिक रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए किया जा रहा है। यह बदलाव शिक्षा व्यवस्था के लिए निराशाजनक है।
मोदी की रैलियों में भीड़ की कमी
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों में लोग खुद नहीं आ रहे हैं, इसलिए शिक्षकों और सफाई कर्मचारियों को मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने दिल्ली को बर्बाद कर दिया है, स्कूलों में फीस बढ़ी है और बुनियादी सुविधाएं खराब हो गई हैं।
भाजपा से शिक्षकों के लिए माफी की मांग
सिसोदिया और संजय सिंह ने एकजुट होकर कहा कि शिक्षकों का काम कक्षा में पढ़ाना है, न कि किसी नेता के लिए ताली बजाना। भाजपा को यह समझना चाहिए कि शिक्षा केवल राजनीति का उपकरण नहीं है। शिक्षकों की गरिमा और उनके पेशेवर समय का सम्मान होना चाहिए। प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों में शिक्षकों को मजबूर करना लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है। इसलिए भाजपा को सार्वजनिक रूप से शिक्षकों से माफी मांगनी चाहिए।