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दिल्ली में पुराने वाहनों पर रोक: सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी

दिल्ली सरकार ने 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है, जो अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस मामले में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ मिलकर योजना को फिर से लागू करने का अनुरोध किया है। इस आदेश का उद्देश्य दिल्ली में प्रदूषण को कम करना है, लेकिन उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इसे लागू करने में चुनौतियों का सामना करने की बात कही है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

पुराने वाहनों पर रोक का मामला

पुराने वाहनों की रोक: दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच सकता है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सीएक्यूएम को पत्र लिखकर इस योजना को फिर से लागू करने का अनुरोध किया है। वे सुप्रीम कोर्ट में पेश होंगे और दिल्ली की जनता से अपील करेंगे कि प्रदूषण के मुद्दे पर सरकार की तैयारी के बारे में जानकारी देंगे।


सीएम का बयान

सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, "हम दिल्ली के अधिकारों के लिए लड़ेंगे, जो पूरे देश में एक मानक है। दिल्ली में भी यही लागू होना चाहिए। सरकार और प्रशासन को अपना काम करना चाहिए, लेकिन हमारा लक्ष्य है कि दिल्ली के लोगों को कोई परेशानी न हो। हम इस आदेश को फिर से लागू करने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों के समक्ष पेश होंगे और दिल्लीवासियों को राहत देने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।"


पर्यावरण मंत्री की टिप्पणी

पर्यावरण मंत्री ने प्रतिबंध को बताया चुनौतीपूर्ण

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि तकनीकी चुनौतियों और जटिल प्रणालियों के कारण इस तरह के ईंधन प्रतिबंधों को लागू करना कठिन है। उन्होंने यह भी बताया कि खराब रखरखाव वाले वाहनों को जब्त करने की व्यवस्था पर काम किया जा रहा है, ताकि अपनी कार और मोटरसाइकिल की देखभाल करने वालों को दंडित न किया जाए।


आदेश का कार्यान्वयन

1 जुलाई से लागू हुआ आदेश

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) का यह आदेश 1 जुलाई से प्रभावी हुआ। इसका उद्देश्य दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना था, जहां लोग सर्दियों में जहरीली धुंध और पूरे साल खराब वायु गुणवत्ता का सामना करते हैं। इस आदेश से 62 लाख से अधिक वाहन प्रभावित हुए, जिनमें कार, दोपहिया, ट्रक और पुरानी विंटेज गाड़ियां शामिल हैं। यह आदेश इस आधार पर जारी किया गया कि वाहन दिल्ली में प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं।


पेट्रोल पंपों पर निगरानी

पेट्रोल पंपों पर कैमरे लगाए गए

आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 50% से अधिक प्रदूषण वाहनों के कारण होता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 498 पेट्रोल पंपों पर लगाए गए कैमरों से एंड ऑफ लाइफ वाहनों (ईएलवी) की पहचान की जानी थी। ये कैमरे एक केंद्रीय डेटाबेस से जुड़े होते हैं, जो नंबर प्लेट की जांच करता है और वाहन का ईएलवी स्टेटस बताता है, जिससे फ्यूल ऑपरेटर को अलर्ट किया जाता है।


उपराज्यपाल का पत्र

‘दिल्ली अभी तैयार नहीं’

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने भी इस फैसले को लेकर दिल्ली सरकार को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल दिल्ली इस तरह के प्रतिबंध के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है, यह कहते हुए कि दिल्ली में अभी ऐसी सुविधाएं नहीं हैं कि लाखों वाहनों को हटाया या स्क्रैप किया जा सके।