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दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए बड़ा कदम: पुराने वाहनों को नहीं मिलेगा ईंधन

दिल्ली सरकार ने 1 नवंबर 2025 से 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन देने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। यह कदम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है। इस नीति का पालन दिल्ली के साथ-साथ NCR के कुछ हिस्सों में भी किया जाएगा। जानें इस नियम के पीछे की वजहें, निगरानी के उपाय और संभावित चुनौतियाँ।
 

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए नया नियम

दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। 1 नवंबर 2025 से, 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा। यह कदम वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए उठाया गया है, और इसकी निगरानी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) करेगा।


पुराने वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा

दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं मिलेगा। यह नियम 1 नवंबर 2025 से लागू होगा। हालांकि, एम्बुलेंस, सरकारी आपातकालीन सेवाएं और इलेक्ट्रिक वाहनों को इस नियम से छूट मिलेगी।


NCR में भी लागू होगा यह नियम

यह नीति दिल्ली के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के कुछ हिस्सों में भी लागू की जाएगी। प्रारंभिक चरण में, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में यह प्रतिबंध प्रभावी रहेगा। योजना के अनुसार, मार्च 2026 तक पूरे NCR में इसे लागू किया जाएगा।


निगरानी के लिए तकनीकी उपाय

इस आदेश के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) कैमरे लगाए जाएंगे। ये कैमरे वाहनों की उम्र की जानकारी को वीहन (VAHAN) डेटाबेस से मिलाकर फ्यूल भरने से पहले स्वचालित रूप से जांच करेंगे। यदि वाहन नियमों के अनुसार अयोग्य पाया गया, तो उसे ईंधन नहीं दिया जाएगा।


नियम उल्लंघन पर जुर्माना

यदि कोई चालक इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उस पर ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। बार-बार उल्लंघन की स्थिति में, वाहन को जब्त कर स्क्रैपिंग प्रक्रिया में भेजा जा सकता है। परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे वाहनों के लिए अब सड़कों पर कोई स्थान नहीं है।


सरकार की मंशा और चुनौतियाँ

दिल्ली सरकार का कहना है कि यह कदम पर्यावरण संरक्षण और नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है। सरकार का मानना है कि प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा पुराने वाहनों से आता है, और उनका सड़कों पर बने रहना राजधानी की हवा को जहरीला बना रहा है। हालांकि, पेट्रोल पंप संचालकों और वाहन मालिकों ने कुछ आपत्तियाँ उठाई हैं, उनका कहना है कि तकनीकी व्यवस्था को लागू करने में समय लग सकता है और इससे आम जनता को असुविधा हो सकती है।