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धर्मशाला में बौद्ध धर्मगुरुओं की बैठक: क्या होगा दलाई लामा के उत्तराधिकारी का भविष्य?

धर्मशाला में हो रही एक महत्वपूर्ण बैठक में 100 से अधिक बौद्ध धर्मगुरु भाग ले रहे हैं, जिसमें दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन पर चर्चा की जा रही है। यह बैठक चीन के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि बीजिंग ने पहले ही उत्तराधिकारी तय करने की इच्छा व्यक्त की है। दलाई लामा का पद तिब्बती बौद्ध परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इस बैठक का निर्णय न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से भी संवेदनशील हो सकता है।
 

धर्मशाला में महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन

धर्मशाला में एक महत्वपूर्ण बैठक चल रही है, जो चीन के लिए चिंता का विषय बन गई है। यह बैठक 14वें दलाई लामा के जन्मदिन से पहले तीन दिनों तक चलेगी, जिसमें 100 से अधिक बौद्ध धर्मगुरु भाग ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस गोपनीय बैठक में दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन पर चर्चा होने की संभावना है। चीन को इस मुद्दे पर गहरी आपत्ति है, क्योंकि बीजिंग ने पहले ही उत्तराधिकारी तय करने की इच्छा व्यक्त की है.


चीन की तिब्बत पर दावेदारी

यह बैठक उस समय हो रही है जब चीन तिब्बत को अपने हिस्से के रूप में मानने पर अड़ा हुआ है। यदि दलाई लामा द्वारा भारत या किसी अन्य देश में नए उत्तराधिकारी की घोषणा की जाती है, तो यह चीन के लिए एक बड़ा कूटनीतिक और आध्यात्मिक झटका होगा.


दलाई लामा का महत्व

दलाई लामा तिब्बती बौद्ध परंपरा में एक महत्वपूर्ण पद है, जिसे 'लिविंग बुद्ध' भी कहा जाता है। यह पद 11वीं सदी से अस्तित्व में है। दलाई लामा न केवल धार्मिक नेता होते हैं, बल्कि निर्वासित तिब्बती सरकार के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि भी हैं.


बैठक का उद्देश्य

धर्मशाला में हो रही यह बैठक 2019 के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में बौद्ध धर्मगुरुओं को एकत्रित कर रही है। इसमें दलाई लामा के उत्तराधिकारी की खोज पर चर्चा की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, 6 जुलाई को उनके जन्मदिन के अवसर पर इस संबंध में महत्वपूर्ण घोषणा की जा सकती है. बैठक को गोपनीय रखा गया है ताकि चीन की निगाहों से बचा जा सके.


उत्तराधिकारी चयन विवाद

दलाई लामा की परंपरा के अनुसार, उनकी मृत्यु के बाद एक बच्चे की खोज की जाती है, जिसमें पिछले दलाई लामा की आत्मा का संचार माना जाता है। यह खोज आमतौर पर तिब्बत में होती थी, लेकिन इस बार भारत या किसी अन्य देश से बच्चे को चुनने की संभावना जताई जा रही है, जो परंपरा में बड़ा बदलाव होगा.


चीन की चिंताएं

चीन इस प्रक्रिया को अपने नियंत्रण में रखना चाहता है ताकि तिब्बत में उसका प्रभुत्व बना रहे। यदि भारत में नया दलाई लामा चुना जाता है, तो यह चीन के दखल को कमजोर कर सकता है. धर्मशाला में हो रही बैठक से चीन की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह उसकी आध्यात्मिक नियंत्रण की रणनीति को विफल कर सकती है.


वैश्विक मुद्दा बन सकता है निर्णय

दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध धर्म के भविष्य को निर्धारित करेगा। यह न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से भी एक संवेदनशील मुद्दा है. चीन की आपत्ति और भारत में हो रही बैठक के बीच टकराव की संभावना बढ़ रही है.