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धर्मस्थल में सामूहिक शव दफन मामले में महिला ने बदली कहानी

कर्नाटक के धर्मस्थल में सामूहिक शव दफनाने के मामले में एक महिला ने अपनी गायब बेटी के बारे में झूठी कहानी का खुलासा किया है। सुजाता भट्ट ने स्वीकार किया कि उसकी बेटी का कोई अस्तित्व नहीं था और उसे झूठ बोलने के लिए मजबूर किया गया था। यह मामला तब सामने आया जब एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने कई महिलाओं के शवों के दफनाने का दावा किया। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
 

महिला का झूठा दावा

कर्नाटक के धर्मस्थल में सामूहिक शव दफनाने के मामले ने हड़कंप मचा दिया है। इस मामले में एक महिला ने अपनी गायब बेटी के बारे में जो कहानी बताई थी, अब वह पलट गई है। महिला ने स्वीकार किया है कि उसने जो कहा था, वह पूरी तरह से झूठ था।


अनन्या भट्ट का फर्जी दावा

महिला, जिसका नाम सुजाता भट्ट है, ने पहले दावा किया था कि उसकी बेटी अनन्या भट्ट 2003 में धर्मस्थल यात्रा के दौरान लापता हो गई थी। इस बयान के बाद से धर्मस्थल में विवाद बढ़ गया था, जिसमें सामूहिक शव दफनाने और यौन उत्पीड़न के आरोप शामिल थे। अब सुजाता ने कहा है कि उसकी कहानी मनगढ़ंत थी और उसने गिरीश मत्तनवर और टी. जयंती पर झूठ बोलने के लिए उकसाने का आरोप लगाया है।


‘मेरी कोई बेटी थी ही नहीं’

महिला ने कहा कि अनन्या भट्ट नाम की कोई बेटी थी ही नहीं। उसने बताया कि कुछ लोगों ने उसे ऐसा कहने के लिए मजबूर किया था, और यह सब उसके दादा की संपत्ति के विवाद के कारण हुआ। सुजाता ने कहा कि उसके दादा की ज़मीन का एक टुकड़ा कथित तौर पर मंदिर के अधिकारियों ने हड़प लिया था।


मामले का खुलासा कैसे हुआ?

धर्मस्थल में शवों की खोज तब शुरू हुई जब एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने दावा किया कि उसने कई महिलाओं के शव दफनाए थे, जिनके साथ बलात्कार किया गया था। उसकी निशानदेही पर खुदाई की गई और कुछ अवशेष भी मिले। इस मामले में विवाद और राजनीति का दौर जारी है, और अब सवाल उठ रहा है कि सामूहिक शव दफनाने की सच्चाई क्या है?