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नए कर विधेयक में महत्वपूर्ण बदलाव: 285 संशोधनों का प्रस्ताव

भारतीय कर प्रणाली में बड़े बदलावों की तैयारी है, जिसमें नया आयकर विधेयक 2025 पेश किया जाएगा। यह विधेयक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करेगा और इसमें 285 महत्वपूर्ण संशोधन शामिल हैं। नए विधेयक में कम धाराएँ और सरल भाषा का उपयोग किया गया है, जिससे विवादों को कम किया जा सके। जानें इस विधेयक के प्रभाव और इसके पारित होने की प्रक्रिया के बारे में।
 

नए कर विधेयक का परिचय


भारतीय कर प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन होने जा रहे हैं। नया आयकर विधेयक, 2025, सोमवार को लोकसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। यह विधेयक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करेगा और इसमें कम धाराएँ होंगी, साथ ही इसे सरल भाषा में लिखा जाएगा।


समीक्षा रिपोर्ट और समिति की भूमिका

एक रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नए विधेयक की समीक्षा के लिए भाजपा नेता बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में 31 सदस्यीय समिति का गठन किया था। यह समिति 13 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा विधेयक प्रस्तुत किए जाने के बाद बनाई गई थी। समिति ने नए कर विधेयक में 285 संशोधनों का सुझाव दिया है, और यह रिपोर्ट अब सदन में आगे की कार्रवाई के लिए प्रस्तुत की जाएगी। नया विधेयक पुराने आयकर अधिनियम का आकार आधा है।


सरल भाषा और कम धाराएँ

नए विधेयक में 816 की बजाय 536 धाराएँ शामिल हैं। विवादों को कम करने के उद्देश्य से इसे सरल भाषा में लिखा गया है। आयकर विभाग के अनुसार, नए विधेयक में शब्दों की संख्या पुराने कानून की 5.12 लाख की तुलना में 2.6 लाख है। अध्यायों की संख्या भी 47 से घटाकर 23 कर दी गई है।


नए कर विधेयक, 2025 में कर लाभ और टीडीएस/टीसीएस नियमों को स्पष्ट करने के लिए 57 तालिकाएँ शामिल हैं, जबकि पुराने अधिनियम में केवल 18 तालिकाएँ थीं। लगभग 1,200 प्रावधान और 900 स्पष्टीकरण हटा दिए गए हैं। एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि 'आकलन वर्ष' और 'पिछला वर्ष' की पुरानी अवधारणा को अब 'कर वर्ष' से बदल दिया जाएगा।


नए विधेयक का प्रभाव

वर्तमान में, एक वर्ष में अर्जित आय पर अगले वर्ष (आकलन वर्ष) में कर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, 2023-24 की आय पर 2024-25 में कर लगेगा। नया विधेयक पारित होने के बाद यह व्यवस्था बदल जाएगी।


निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए जाने के बाद, यह विधेयक प्रवर समिति को भेजा गया था और इसकी समीक्षा रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र के पहले दिन पेश की जाएगी, जो 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त, 2025 तक चलेगा।