नक्सलियों ने संघर्ष विराम की घोषणा की, सरकार से बातचीत की इच्छा जताई
नक्सलियों का संघर्ष विराम का ऐलान
नक्सलियों ने संघर्ष विराम की घोषणा की: देश में नक्सल विरोधी अभियानों के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। माओवादी पार्टी, सीपीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हथियार डालने और अस्थायी संघर्ष विराम पर सहमति जताई है। यह बयान संगठन के प्रमुख नेता 'अभय' यानी मल्लोजुला वेंगुपाल राव के हस्ताक्षर के साथ आया है। बताया गया है कि अबूझमाड़ के जंगलों में सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और शीर्ष नेतृत्व के समाप्त होने के कारण संगठन ने यह कदम उठाने का निर्णय लिया है।
सरकार से बातचीत की तैयारी
प्रेस विज्ञप्ति में माओवादियों ने सरकार से एक महीने का समय मांगा है ताकि वे अपने नेताओं और कैडर के साथ चर्चा कर सकें, यहां तक कि जेलों में बंद सदस्यों से भी। संगठन का कहना है कि वे शांति प्रक्रिया पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही, उन्होंने गृह मंत्री या केंद्र सरकार के अन्य प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए भी अपनी तत्परता व्यक्त की है।
सुरक्षा बलों का दबाव
साल 2025 में नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान सीपीआई (माओवादी) के महासचिव बसवराजु समेत सात केंद्रीय समिति सदस्यों को मारा गया। इस दौरान कुल 28 से अधिक वरिष्ठ सदस्य मारे गए। सुरक्षा बलों का दबाव इतना बढ़ गया है कि माओवादी अब हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने का रास्ता तलाश रहे हैं।
बयान की प्रामाणिकता पर संदेह
छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्रीय एजेंसियों ने इस बयान की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि यह प्रेस विज्ञप्ति पिछली बार से भिन्न है क्योंकि इसमें अभय की तस्वीर भी शामिल है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने कहा है कि किसी भी संवाद या वार्ता का निर्णय केवल सरकार करेगी और हालात की समीक्षा के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा।
केंद्र का दृष्टिकोण
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल के महीनों में हुए बड़े अभियानों ने माओवादियों को हाशिये पर ला दिया है। अब उनके पास आत्मसमर्पण और शांति प्रक्रिया में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। हालांकि, बयान की प्रामाणिकता की पुष्टि अभी बाकी है।
माओवादी रुख में बदलाव
प्रेस रिलीज में माओवादियों ने कहा कि मार्च 2025 से वे बातचीत की इच्छा रखते थे और 10 मई को हथियार डालने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। संगठन ने कहा कि बदलते राष्ट्रीय और वैश्विक हालात के मद्देनजर और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री व पुलिस अधिकारियों की अपीलों को देखते हुए उन्होंने हथियार डालने का निर्णय लिया है। आगे वे जनता के अधिकारों की लड़ाई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जारी रखेंगे।