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नितिन गडकरी पर हमले और बीमा प्रीमियम पर जीएसटी की शून्यता

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी वर्तमान में आलोचना का सामना कर रहे हैं, खासकर जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी की समाप्ति के संदर्भ में। उन्होंने इस मुद्दे को उठाने के लिए साहस दिखाया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें श्रेय नहीं दिया जा रहा है। जानें कि कैसे गडकरी ने अपनी पार्टी की सरकार को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर पत्र लिखा और आम जनता के लिए बीमा प्रीमियम को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
 

नितिन गडकरी का विवादास्पद समय

वर्तमान में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी आलोचना के केंद्र में हैं। हालांकि, क्या कोई यह स्वीकार करेगा कि जीवन और स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी को समाप्त किया गया है? भाजपा विरोधी मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर उनकी आलोचना हो रही है, साथ ही राइट विंग के सोशल मीडिया अकाउंट्स से भी उन पर तीखे हमले किए जा रहे हैं। इथेनॉल, टोल टैक्स, और भारत की सड़कों को अमेरिका जैसी बनाने के उनके बयानों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उनकी खुलकर बात करने की आदत ने उन्हें निशाने पर ला दिया है। यह ध्यान देने योग्य है कि लोग जानते हैं कि वे पेट्रोलियम मंत्री नहीं हैं और न ही कभी रहे हैं। इथेनॉल में पेट्रोल मिलाने का निर्णय गडकरी का नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का है।


बीमा प्रीमियम पर जीएसटी की समाप्ति

गडकरी पर हमले का एक कारण यह भी है कि उनके पास भक्त मंडली का समर्थन नहीं है, और जनता के बीच उनकी स्वतंत्र सोच की छवि है। फिर भी, स्वास्थ्य और जीवन बीमा के प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी आम जनता के लिए एक बड़ा मुद्दा है, जिसे गडकरी ने सबसे पहले उठाया। उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर इस मुद्दे को उठाना शुरू किया और अपनी ही पार्टी की केंद्र सरकार को आंकड़ों के साथ एक पत्र लिखने का साहस दिखाया। उन्होंने बताया कि भारत में बहुत कम लोग स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठाते हैं और स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हैं। इसी तरह, अधिकांश परिवारों के पास जीवन बीमा नहीं है, जिससे आर्थिक सुरक्षा का अभाव है। इसलिए, अधिक से अधिक लोगों को बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जो तब संभव होगा जब प्रीमियम कम होंगे। अब जबकि सरकार ने बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को समाप्त कर दिया है, फिर भी कोई भी इसका श्रेय नितिन गडकरी को नहीं देगा। गडकरी ने 28 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा था।