नीतीश कुमार की नाराजगी: भाजपा की सूची में देरी का कारण
नीतीश कुमार की नाराजगी की सच्चाई
नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरों को कई लोग खारिज कर रहे हैं। संजय झा और ललन सिंह के समर्थक इसे विपक्ष की फैलायी गई अफवाह मानते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि चिराग पासवान को 29 सीटें दी गई हैं, लेकिन छह सीटों पर जनता दल यू के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, यह केवल अफवाह नहीं थी। नीतीश वास्तव में नाराज थे। मुख्यमंत्री आवास में उनके करीबी परिवार के सदस्य और कुर्मी तथा दलित नेताओं ने उन्हें बताया कि जनता के बीच यह संदेश फैल रहा है कि जनता दल यू अब लव कुश की पार्टी नहीं रह गई है, बल्कि भूमिहार और ब्राह्मणों ने इसका नियंत्रण ले लिया है। उन्हें यह भी बताया गया कि चिराग को दी जाने वाली सीटों की स्थिति क्या है। यह सब सुनकर नीतीश कुमार वास्तव में नाराज हो गए।
भाजपा की सूची में देरी का कारण
नीतीश कुमार की नाराजगी का प्रभाव यह था कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक के बाद 48 घंटे तक उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की गई। ध्यान रहे कि भाजपा की सीईसी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होते हैं। बिहार की बैठक में भी मोदी मौजूद थे और नाम तय हो गए थे। आमतौर पर नाम तय होने के तुरंत बाद या अधिकतम 12 घंटे में सूची जारी कर दी जाती है। लेकिन इस बार लगभग 48 घंटे तक सूची अटकी रही। 12 अक्टूबर को सीईसी की बैठक हुई और 14 अक्टूबर को दोपहर बाद सूची जारी की गई। इसके पीछे नीतीश कुमार की नाराजगी का असली कारण था। उन्हें अपनी जीती हुई सीटें चिराग को दिए जाने से नाराजगी थी और यह भी कि भाजपा के बराबर सीटें जनता दल यू को मिल रही थीं। वे कम से कम एक सीट अधिक चाहते थे। दूसरी ओर, भाजपा में चिंता थी कि सीईसी की बैठक के बाद सूची में देरी से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं। इसी कारण मंगलवार को भाजपा ने अन्य पार्टियों का इंतजार किए बिना अपनी 71 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी।