नेतन्याहू का फिलिस्तीन पर बयान: ट्रंप के प्रस्ताव पर विवाद
नेतन्याहू का बयान
नेतन्याहू का फिलिस्तीन पर बयान: गाजा युद्ध को समाप्त करने के लिए वॉशिंगटन में ट्रंप द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव ने नए विवाद उत्पन्न कर दिए हैं। व्हाइट हाउस के दस्तावेज में फिलिस्तीन के आत्मनिर्णय और राज्यत्व का उल्लेख है, लेकिन नेतन्याहू इसे पूरी तरह से अस्वीकार कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह आतंकवाद को पुरस्कार देने जैसा होगा। इजराइली वित्त मंत्री बेजलेल स्मोट्रिच ने भी इस योजना को 'राजनैतिक विफलता' बताया है.
नेतन्याहू ने ट्रंप से मुलाकात के बाद एक वीडियो संदेश में कहा, 'बिल्कुल नहीं। इस समझौते में ऐसा कुछ नहीं लिखा है।' उन्होंने यह भी कहा कि फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देना इजराइल की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा होगा। नेतन्याहू के अनुसार, ट्रंप भी मानते हैं कि राज्यत्व का विकल्प आतंकवादियों के लिए 'बड़ा इनाम' साबित होगा।
स्मोट्रिच की तीखी आलोचना
स्मोट्रिच की तीखी आलोचना
इजराइल के वित्त मंत्री और 'रिलिजियस जियोनिज्म' पार्टी के नेता स्मोट्रिच ने ट्रंप के प्रस्ताव पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि गाजा में फिलिस्तीनी सुरक्षा बल को स्थान देना और कतर की भूमिका को बढ़ाना एक ऐतिहासिक गलती है। इसे 'राजनीतिक मृगतृष्णा' बताते हुए उन्होंने भविष्यवाणी की कि यह योजना 'आंसुओं में समाप्त होगी।'
ट्रंप का शांति ब्लूप्रिंट
ट्रंप का शांति ब्लूप्रिंट
व्हाइट हाउस में प्रस्तुत इस प्रस्ताव के अनुसार, 72 घंटों के भीतर बंधकों की अदला-बदली होगी और धीरे-धीरे इजराइली सेना पीछे हटेगी। गाजा का प्रशासन तकनीकी विशेषज्ञों की एक फिलिस्तीनी समिति द्वारा चलाया जाएगा, जबकि एक 'बोर्ड ऑफ पीस' इसकी निगरानी करेगा, जिसकी अगुवाई ट्रंप स्वयं करेंगे। पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर सहित कई अंतरराष्ट्रीय चेहरे इसमें शामिल होंगे। योजना में हमास के पूर्ण निरस्त्रीकरण और गाजा के पुनर्निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक पैकेज का वादा भी किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय प्रतिक्रिया
यूरोपीय और अरब देशों ने इस शर्तों वाले प्रस्ताव का सतर्क स्वागत किया है, जबकि फिलिस्तीनी अथॉरिटी ने इसे संभावित सकारात्मक कदम बताया है। हमास ने कहा कि वे इसे 'गुड फेथ' में पढ़ेंगे, लेकिन बिना पूरी वापसी के निरस्त्रीकरण स्वीकार नहीं होगा। गाजा में विस्थापित लोगों ने भी इस योजना को अविश्वसनीय बताया है। इजराइल के भीतर भी यह मुद्दा राजनीतिक दरारें गहरा रहा है। जहां नेतन्याहू इसे अपनी कूटनीतिक जीत मानते हैं, वहीं उनकी गठबंधन सरकार के सहयोगी कड़े विरोध में खड़े हैं।