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नेपाल में जनरल ज़ेड आंदोलन: पूर्व पीएम ओली का राष्ट्रवाद पर अडिग रुख

नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे जनरल ज़ेड प्रदर्शनों के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने अडिग रुख का इजहार किया है। उन्होंने विवादित क्षेत्रों पर नेपाल के अधिकार की बात की और कहा कि वे किसी भी कीमत पर राष्ट्रवाद से समझौता नहीं करेंगे। ओली का यह बयान उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर नई चर्चाओं को जन्म दे रहा है। आंदोलन के दौरान हिंसा में वृद्धि हो रही है, जिसमें कई प्रदर्शनकारी अपनी जान गंवा चुके हैं। जानें पूरी कहानी में ओली की रणनीति और आंदोलन की वर्तमान स्थिति।
 

युवाओं के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन

नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे जनरल ज़ेड प्रदर्शनों के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफे के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से अपनी बात रखी है। उन्होंने फेसबुक पर एक विस्तृत पोस्ट में कहा कि वे नेपाल की संप्रभुता और राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे।


राजनीतिक वापसी की कोशिश

ओली ने अपनी पोस्ट में यह स्पष्ट किया कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे विवादित क्षेत्र नेपाल का अभिन्न हिस्सा हैं और वे हमेशा इन पर नेपाल का दावा करते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान श्री राम की जन्मभूमि नेपाल में है, न कि भारत में। उनका मानना है कि इन मुद्दों पर उनके अडिग रुख ने उन्हें सत्ता गंवाने पर मजबूर किया, लेकिन वे इससे पीछे नहीं हटेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओली राष्ट्रवादी भावनाओं का सहारा लेकर फिर से जनसमर्थन प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।


शिवपुरी बैरक से रणनीति बना रहे ओली

अपने 10 सितंबर के बयान में ओली ने बताया कि वे अभी नेपाल में हैं और अस्थायी रूप से नेपाल सेना के शिवपुरी बैरक में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बाहरी शक्तियों की थी और वे इसका विरोध करते रहेंगे।


भारत विरोधी रुख पर कायम ओली

अपनी पार्टी के नाम लिखे पत्र में ओली ने कहा कि वे जानते हैं कि उनका स्वभाव ज़िद्दी है, लेकिन यही जिद उन्हें चुनौतियों के बीच भी डटे रहने की ताकत देती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने नेपाल में सक्रिय सोशल मीडिया कंपनियों से स्थानीय पंजीकरण और नियमों का पालन कराने की पहल की थी, जिससे उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। ओली ने यह भी कहा कि यदि वे लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा और भगवान राम की जन्मभूमि जैसे संवेदनशील मुद्दों पर झुक जाते, तो उन्हें पद और प्रतिष्ठा बनाए रखने में कोई कठिनाई नहीं होती, लेकिन उन्होंने राज्यहित को प्राथमिकता दी।


विरोध प्रदर्शनों में बढ़ता तनाव

नेपाल में चल रहे जनरल ज़ेड आंदोलन के दौरान हिंसा में लगातार वृद्धि हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि अब तक 34 प्रदर्शनकारी अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देशभर के अस्पतालों में फिलहाल 1,338 लोग उपचाराधीन हैं।