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नेपाल में मंत्री की गाड़ी से टकराने वाली बच्ची की घटना ने उठाई युवा आक्रोश की लहर

नेपाल में एक मंत्री की गाड़ी से टकराने वाली 11 वर्षीय बच्ची की घटना ने देश में युवा आक्रोश को जन्म दिया है। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बयान ने जनता में गुस्सा भड़का दिया। युवा वर्ग ने भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठाई है। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और कैसे यह एक सामाजिक आंदोलन का रूप ले रही है।
 

घटना का विवरण

6 सितंबर को सुबह लगभग 7:15 बजे, नेपाल में कोशी प्रांत के मंत्री राम बहादुर मगर की सरकारी गाड़ी ने ललितपुर के हरिसिद्धि सेकेंडरी स्कूल के बाहर 11 वर्षीय उषा मगर सुनुवार को टक्कर मार दी। यह घटना तब हुई जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लागू होने के कुछ घंटे बाद बच्ची सड़क पर गिर गई। सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट रूप से देखा गया कि गाड़ी टक्कर मारने के बाद वहां से चली गई। उषा को गंभीर चोटें आईं, लेकिन सरकारी काफिले द्वारा उसे छोड़कर जाने की तस्वीर ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। यह घटना जनता के गुस्से का प्रतीक बन गई।


प्रधानमंत्री का बयान और जनता की प्रतिक्रिया

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस घटना को "सामान्य दुर्घटना" करार देते हुए केवल उषा के इलाज का खर्च उठाने का आश्वासन दिया। उनके इस बयान ने नेपाल की जनता में आक्रोश पैदा कर दिया।


युवाओं में आक्रोश और बदलाव की मांग

काठमांडू के कॉलेजों और चाय की दुकानों पर यह घटना चर्चा का विषय बन गई। त्रिभुवन यूनिवर्सिटी की 20 वर्षीय छात्रा मीरा थापा ने कहा, "यह घटना हमें दिखाती है कि हमारी कोई अहमियत नहीं है। हम पहले से ही भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से परेशान हैं।" विश्व बैंक के अनुसार, 2024 में 15-24 आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 20.8% थी, जिससे युवा पलायन कर रहे हैं।


भ्रष्टाचार और सामाजिक असमानता

नेपाल की जीडीपी का 33.1% व्यक्तिगत खर्च से आता है। प्रदर्शन कर रही 20 वर्षीय मुना श्रेष्ठ ने कहा, "अगर हम अपने देश को बेहतर बना सकें, तो हमारे युवा यहीं रह सकते हैं।" भ्रष्टाचार और राजनीतिक परिवारों का मंत्रालयों पर कब्जा इस असंतोष का मुख्य कारण है।


सोशल मीडिया बैन और युवा क्रांति

लामिछाने ने कहा, "सोशल मीडिया बैन ने असंतोष को और बढ़ा दिया है। युवा अब बदलाव के लिए तैयार हैं।" काठमांडू की सड़कों पर "ओली चोर, देश छोड़" का नारा गूंज रहा है।


कानूनी समाधान या क्रांति?

नेपाली कांग्रेस के नेता एनपी साउद ने भ्रष्टाचार को स्वीकार किया, लेकिन कानूनी प्रक्रिया की वकालत की। वहीं, प्रदर्शनकारी रचना सापकोटा ने कहा, "हम न्याय चाहते हैं।" यह मुद्दा अब कानून से परे जा चुका है।