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नेपाल में राजनीतिक अशांति: काठमांडू हवाई अड्डा फिर से खोला गया

नेपाल में हालिया राजनीतिक अशांति ने आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित किया है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शनों ने हिंसक रूप धारण कर लिया, जिसके कारण काठमांडू का हवाई अड्डा अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था। अब इसे सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद फिर से खोला गया है। जानें इस संकट के पीछे की कहानी और इसके संभावित परिणाम।
 

नेपाल में हालात की गंभीरता

नेपाल में हाल की राजनीतिक उथल-पुथल ने न केवल राजनीतिक वातावरण को प्रभावित किया है, बल्कि आम लोगों के जीवन पर भी इसका गहरा असर पड़ा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शनों ने हिंसक रूप धारण कर लिया, जिसके कारण काठमांडू का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा। अब, सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद इसे फिर से खोला गया है।


हवाई अड्डे का पुनः उद्घाटन

नेपाल नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने मंगलवार को सूचित किया कि त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अब उड़ानों के लिए खुल गया है। प्राधिकरण ने यात्रियों से अनुरोध किया है कि वे यात्रा से पहले अपनी एयरलाइंस से संपर्क करें और टिकट तथा पहचान पत्र लेकर ही हवाई अड्डे पर आएं। अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय सुरक्षा समिति की बैठक के बाद लिया गया है और यात्रियों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय किए गए हैं।


विरोध प्रदर्शन और हिंसा

विरोध प्रदर्शन और हिंसा


सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए जन आंदोलन ने पूरे देश में व्यापक रूप ले लिया है। खासकर युवा वर्ग, जिसे 'जनरेशन ज़ी आंदोलन' कहा जा रहा है, सड़कों पर उतर आया है। हिंसक झड़पों के दौरान पुलिस और सेना को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें कई लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना ने कर्फ्यू और धारा 144 लागू की है। इस दौरान कई हथियार बरामद किए गए और लूट का पैसा भी पुलिस ने वापस हासिल किया।


बड़े पैमाने पर लूटपाट और आगजनी

बड़े स्तर पर लूटपाट और आगजनी


हिंसा के दौरान कई महत्वपूर्ण स्थानों को निशाना बनाया गया। काठमांडू में हिल्टन होटल, राष्ट्रपति भवन और पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल का निवास भी आग के हवाले कर दिया गया। इस आगजनी में खनाल की पत्नी की मृत्यु हो गई, जिससे देशभर में गहरा आक्रोश और शोक फैल गया। इसके अलावा, बैंकों में लूटपाट और 1,500 कैदियों के जेल से भागने की घटनाओं ने प्रशासन की चिंताओं को और बढ़ा दिया है।


राजनीतिक संकट और भविष्य

राजनीतिक संकट और भविष्य


इस संकट के बीच, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा, जिससे नेपाल की राजनीति में और अधिक अस्थिरता आ गई है। सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता अब देश में शांति स्थापित करना है। हालांकि, स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है और सुरक्षा बल सतर्कता बरत रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।