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पंजाब के मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ को सौंपने की मांग की

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने केंद्र सरकार से चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने की मांग की है। उन्होंने 1970 के इंदिरा गांधी समझौते और 1985 के राजीव-लोंगोवाल समझौते का हवाला देते हुए कहा कि यह पंजाब का अधिकार है। मान ने उत्तरी जोनल काउंसिल की बैठक में संघीय ढांचे की वकालत की और पंजाब के अधिकारियों की तैनाती में केंद्र के हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त की। जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनके विचार।
 

पंजाब का अधिकार चंडीगढ़ पर


चंडीगढ़, पंजाब: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने केंद्र सरकार से एक बार फिर अपील की है कि चंडीगढ़ को जल्द से जल्द पंजाब को सौंपा जाए। उन्होंने कहा कि 1970 में इंदिरा गांधी द्वारा किए गए समझौते में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि चंडीगढ़ का राजधानी क्षेत्र पूरी तरह से पंजाब को दिया जाएगा। यह केंद्र सरकार की एक स्पष्ट प्रतिबद्धता थी।


राजीव-लोंगोवाल समझौते का उल्लेख

मुख्यमंत्री ने बताया कि 24 जुलाई 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुए समझौते में भी यह बात स्पष्ट की गई थी कि चंडीगढ़ पंजाब को सौंपा जाएगा। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वादों के बावजूद चंडीगढ़ अभी तक पंजाब को नहीं सौंपा गया, जिससे हर पंजाबी का दिल दुखा है।


संघीय ढांचे की वकालत

उत्तरी जोनल काउंसिल की 32वीं बैठक में, मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़, पंजाब यूनिवर्सिटी और नदियों के पानी पर जोरदार ढंग से अपने अधिकारों की वकालत की। उन्होंने कहा कि संविधान ने स्पष्ट रूप से केंद्र और राज्य के अधिकारों की सीमाएं निर्धारित की हैं। उन्होंने संघवाद के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि पिछले 75 वर्षों में अधिकारों का केंद्रीकरण बढ़ा है।


पंजाब की भूमिका पर केंद्र का प्रभाव

मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ के प्रशासन में पंजाब और हरियाणा के कर्मचारियों की भर्ती में 60:40 अनुपात बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है कि आई.ए.एस. और पी.सी.एस. अधिकारियों को प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों से बाहर रखा जा रहा है।


पंजाब के अधिकारियों की तैनाती

मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि पंजाब कैडर के अधिकारियों को जनरल मैनेजर एफ.सी.आई. (पंजाब) के पद पर तैनात किया जाए, क्योंकि पंजाब का अनाज पूल में सबसे अधिक योगदान है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को बनाए रखना चाहिए।