पंजाब के वित्त मंत्री ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया
जीएसटी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता
चंडीगढ़- पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने दिल्ली में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित मंत्रियों के समूह की पहली बैठक में, 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद पंजाब के राजस्व की स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने जीएसटी प्रणाली में आवश्यक ढांचागत सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया और राजस्व बढ़ाने के लिए नीतिगत सिफारिशें प्रस्तुत कीं।
विज्ञप्ति के अनुसार, इन सिफारिशों में जीएसटी ढांचे के तहत अनाज को शामिल करना, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को घटाना या समाप्त करना, और ई-वे बिल जनरेशन तथा ई-इनवॉइसिंग को अनिवार्य बनाना शामिल हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि डेटा विश्लेषण, कर चोरी और अनुपालन की समस्याओं का समाधान करने के लिए एक एकीकृत प्लेटफार्म विकसित किया जाए, जो सभी राज्यों और केंद्रीय कर प्राधिकरणों के लिए सुलभ हो।
श्री चीमा ने कहा कि पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है, जो अनाज (गेहूं और चावल) की बिक्री पर खरीद कर और बुनियादी ढांचा विकास शुल्क (आईडी शुल्क) पर निर्भर है। वर्ष 2015-16 में इन करों से 3,094 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो राज्य के कुल कर राजस्व का 16.55 प्रतिशत थे। जीएसटी में इन करों के शामिल होने से राज्य को स्थायी राजस्व हानि हुई है। उन्होंने केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) के समाप्त होने से हुए नुकसान की भी चर्चा की, जिसने वर्ष 2015-16 में पंजाब के राजस्व में 568 करोड़ रुपये का योगदान दिया था।
इसके अतिरिक्त, श्री चीमा ने बताया कि वैट प्रणाली के दौरान पंजाब की कर प्राप्तियां जीएसटी प्रणाली की तुलना में कहीं अधिक थीं। उन्होंने जुलाई 2017 से पंजाब के जीएसटी राजस्व की वृद्धि दर, जो अनुमानित 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर से लगातार कम है, पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यदि जीएसटी लागू नहीं होता, तो पंजाब की राजस्व स्थिति 10 प्रतिशत सीएजीआर वृद्धि दर के साथ और बेहतर होती। उन्होंने बताया कि जीएसटी प्रणाली लागू होने के कारण पंजाब को 1 जुलाई 2022 से अब तक 47,037 करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि कृषि आधारित राज्यों जैसे पंजाब को अनाज पर खरीद कर के समाप्त होने से हुए स्थायी वित्तीय नुकसान की भरपाई मुआवजे के माध्यम से की जानी चाहिए।
श्री चीमा ने यह भी कहा कि पंजाब के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों, जैसे कृषि उपकरण, साइकिल और साइकिल पार्ट्स, और होजरी उत्पाद, उच्च कुल कारोबार दिखाते हैं लेकिन जीएसटी राजस्व में अनुपातिक वृद्धि नहीं दिखाते। इसका मुख्य कारण यह है कि जीएसटी एक गंतव्य आधारित उपभोग कर है, जिसके कारण आईजीएसटी देनदारी के मुकाबले एसजीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था के माध्यम से पंजाब से राजस्व बाहर चला जाता है।
इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को कम करने या समाप्त करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री चीमा ने कहा कि इसके कारण राज्य को भारी रिफंड देना पड़ता है, जबकि नकद कर प्राप्तियां कम हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर और निर्यात के कारण पंजाब हर साल लगभग 1,200 करोड़ रुपये का रिफंड करता है, जिससे राजस्व प्रभावित होता है। अन्य सिफारिशों में बिना थ्रेशहोल्ड की परवाह किए कर चोरी से प्रभावित वस्तुओं के लिए ई-वे बिलों को अनिवार्य करना, निर्माताओं के लिए बी2बी आपूर्ति और बी2सी आपूर्ति के लिए अनिवार्य ई-इनवॉइसिंग, धोखाधड़ी करने वाले करदाताओं को ट्रैक करने के लिए जीएसटीएन और ई-वे बिलों में आई पी एड्रेस की अनिवार्य मैपिंग और जियो-फेंसिंग की शुरुआत करना शामिल हैं।