पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग नीति: किसानों को मिलेगी सालाना एक लाख रुपये की सहायता
कैबिनेट बैठक में लैंड पूलिंग नीति पर चर्चा
चंडीगढ़ - मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अध्यक्षता में मंगलवार को चंडीगढ़ में उनके सरकारी निवास पर कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई। बैठक के बाद, सीएम मान ने बताया कि लैंड पूलिंग नीति किसानों के हित में बनाई गई है, और इसे किसानों का समर्थन प्राप्त है।
कैबिनेट मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि लैंड पूलिंग के तहत किसानों को जमीन के बदले प्लॉट का कब्जा मिलने तक सरकार उन्हें सालाना एक लाख रुपये की सहायता प्रदान करेगी। यदि इस प्रक्रिया में कोई देरी होती है, तो हर साल इस राशि में 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। इसके अलावा, जब तक क्षेत्र का विकास नहीं होता, किसान उस भूमि पर खेती कर सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष द्वारा यह अफवाह फैलाई जा रही है कि जहां नोटिफिकेशन जारी होगा, वहां रजिस्ट्री बंद हो जाएगी।
सीएम ने स्पष्ट किया कि लैंड पूलिंग की नोटिफिकेशन के तहत रजिस्ट्री पर कोई रोक नहीं लगेगी। जब किसानों और स्टेकहोल्डरों से इस नीति पर चर्चा की गई, तो उन्होंने कुछ सुझाव दिए। सीएम मान ने कहा कि नीति में संशोधन किया गया है कि जब तक किसान से ली गई जमीन पर प्रोजेक्ट शुरू नहीं होता, तब तक किसान उस भूमि पर खेती कर सकता है। सरकार द्वारा जमीन का कब्जा लेने के बाद, प्रति एकड़ एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा, जो हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। लैंड पूलिंग नीति के तहत प्लॉट मिलने तक किसान को सरकार एक लाख रुपये सालाना देगी। कांग्रेस सरकार के समय यह राशि केवल 20 हजार रुपये थी।
लैंड पूलिंग योजना में किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। किसान को मिलने वाले एक लाख रुपये के किराए में हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी। सीएम मान ने कहा कि यदि किसान व्यवसायिक जमीन नहीं लेना चाहता, तो इसे तीन गुना बढ़ाकर रिहायशी प्लॉट प्रदान किया जाएगा। जमीन पर लेटर ऑफ इंटेंट जारी होने के बाद किसान को बैंक से लोन भी मिल सकेगा। हरियाणा में 48 हजार एकड़ भूमि है, जबकि पंजाब में केवल 25 हजार एकड़ में कॉलोनी विकसित की गई है। सीएम मान ने एसजीपीसी के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि क्या उन्होंने कॉपीराइट ले रखा है।