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पप्पू यादव: बिहार के बाहुबली से मसीहा बनने की कहानी

पप्पू यादव, जो कभी बिहार में एक बाहुबली नेता के रूप में जाने जाते थे, अब एक मसीहा के रूप में उभरे हैं। उनका जीवन संघर्ष और बदलाव की कहानी है। जानें कैसे उन्होंने अपने आपराधिक अतीत को पीछे छोड़ते हुए समाज सेवा की दिशा में कदम बढ़ाया। उनके राजनीतिक करियर, जेल यात्रा और सामाजिक कार्यों के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
 

पप्पू यादव का परिचय

पप्पू यादव का जीवन परिचय: बिहार में एक समय था जब आपराधिक गतिविधियाँ आम थीं। बाहुबलियों का राज था, और राजनीतिक दल इन्हीं के सहारे चुनाव जीतते थे। लेकिन समय के साथ परिस्थितियाँ बदलीं और बाहुबलियों का प्रभाव कम हुआ। उनमें से कुछ ने अपनी छवि को बदलने की कोशिश की और अब वे जनता के मसीहा बनने की कोशिश कर रहे हैं। एक ऐसा ही नाम है राजेश रंजन, जिसे हम पप्पू यादव के नाम से जानते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे पप्पू यादव, जिनका नाम सुनकर लोग डरते थे, अब लोगों के मसीहा बन गए हैं।


शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि

पप्पू यादव का जन्म 24 दिसंबर 1967 को मधेपुरा जिले के खुर्दा करवेली गांव में एक जमींदार परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सुपौल के आनंद मार्ग स्कूल से प्राप्त की। उनका असली नाम राजेश रंजन है, लेकिन पप्पू नाम उनके दादा ने दिया था। उन्होंने बीएन मंडल विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इग्नू से आपदा प्रबंधन और मानवाधिकार में डिप्लोमा किया। उनकी पत्नी रंजीत रंजन भी मधेपुरा से सांसद रह चुकी हैं। उनके बेटे सार्थक रंजन दिल्ली के लिए टी-20 क्रिकेट खिलाड़ी हैं। पप्पू यादव आज जनता के मुद्दों को उठाते हैं, लेकिन उनका आपराधिक इतिहास उन्हें बाहुबली नेताओं की श्रेणी में रखता है।


राजनीतिक करियर और जेल यात्रा

पप्पू यादव ने 1990 में निर्दलीय विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन पर हत्या, किडनैपिंग, और अन्य गंभीर अपराधों के कई मामले दर्ज हैं। कहा जाता है कि उनके मामा अर्जुन सिंह ने उन्हें आपराधिक दुनिया में प्रवेश कराया। पप्पू यादव ने युवा शक्ति नामक संगठन की स्थापना की, जो कथित तौर पर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त था। 1998 में माकपा नेता अजीत सरकार की हत्या के मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा, जहाँ उन्होंने 17 साल बिताए। 2008 में उन पर हत्या का आरोप साबित हुआ और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई। हालांकि, 2013 में पटना हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।


सांसद के रूप में सफलता

पप्पू यादव ने 1990 में बिहार विधानसभा चुनाव में सिंहेश्वर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने छह बार लोकसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। 1991 में पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1996 और 1999 में भी उन्होंने इसी क्षेत्र से जीत दर्ज की। 2004 में आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2008 में हत्या के आरोप के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। 2013 में राहत मिलने के बाद, उन्होंने 2014 में आरजेडी के टिकट से मधेपुरा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2019 में अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2024 में उन्होंने पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।


सामाजिक कार्य और मदद

17 साल जेल में बिताने के बाद, पप्पू यादव ने बाहुबली नेता से मसीहा बनने का सफर तय किया है। जब भी कोई आपदा आती है, वह पीड़ितों की मदद के लिए आगे आते हैं। 2019 में पटना में आई बाढ़ के दौरान, उन्होंने नाव के माध्यम से लोगों को खाना और पानी पहुँचाया। कोरोना काल में भी उन्होंने लोगों की मदद की। पप्पू यादव ने एक पॉडकास्ट में कहा कि उन्होंने 34 साल के सार्वजनिक जीवन में 280 करोड़ रुपये से अधिक लोगों की मदद के लिए खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ के समय उन्होंने अपनी संपत्ति बेचकर लोगों की मदद की।