पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग को नई चुनौतियों का सामना
चुनाव आयोग की चुनौतियाँ
पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के समक्ष केवल एक चुनौती नहीं, बल्कि कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। हर दिन नई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं। सरकार और अधिकारियों का असहयोग, बूथ स्तर के अधिकारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन, आदि समस्याओं का सामना चुनाव आयोग कर रहा था, तभी एक नई समस्या सामने आई है। हजारों मतदान केंद्रों से सौ फीसदी मतगणना प्रपत्र जमा हो रहे हैं। पहले चरण के लिए मतगणना प्रपत्र भरने और जमा कराने की अवधि में अभी 10 दिन बाकी हैं, और इस दौरान 2,200 से अधिक मतदान केंद्रों पर सौ फीसदी मतगणना प्रपत्र वापस लौट चुके हैं.
मतगणना प्रपत्रों की स्थिति
चुनाव आयोग ने जानकारी दी है कि 2,208 मतदान केंद्रों से सौ फीसदी फॉर्म वापस आए हैं। इनमें से सबसे अधिक, लगभग 750 बूथ उत्तरी 24 परगना से हैं। इसके अलावा, नादिया, दक्षिण 24 परगना, मिदनापुर, और माल्दा जैसे क्षेत्रों के बूथ भी शामिल हैं। चुनाव आयोग ने इस मामले में जिला अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। यह असंभव है कि पिछले 22 वर्षों में किसी क्षेत्र में एक भी मतदाता की मृत्यु नहीं हुई हो, या कोई स्थायी रूप से स्थानांतरित नहीं हुआ हो, या कोई अपने घर से अनुपस्थित न हो, या किसी का नाम एक से अधिक मतदान केंद्रों पर न हो। इन चार श्रेणियों के कारण हर मतदान केंद्र पर 7-8 प्रतिशत तक मतगणना प्रपत्र कम भरे जा रहे हैं। फिर भी, 2,208 मतदान केंद्रों से सौ फीसदी फॉर्म लौटने की घटना ने सवाल उठाए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ममता बनर्जी की पार्टी चुनाव आयोग को एक सबक सिखाने का प्रयास कर रही है।