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पश्चिम बंगाल में चुनावी प्रक्रिया पर मुख्य चुनाव आयुक्त का बयान

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल समान हैं और SIR के संबंध में निर्णय उचित समय पर लिया जाएगा। ममता बनर्जी ने SIR के खिलाफ अपनी कसम दोहराई है, यह कहते हुए कि मतदाता सूची से किसी का नाम नहीं काटा जाना चाहिए। जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर और क्या कहा गया।
 

मुख्य चुनाव आयुक्त का स्पष्टीकरण

SIR in West Bengal: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए 'वोट चोरी' के आरोपों का उत्तर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिए सभी राजनीतिक दल समान हैं। हालांकि, जब पत्रकारों ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के संबंध में सवाल किया, तो CEC ने कहा कि इस पर उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा।


SIR का इतिहास

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि इस विषय पर सही समय पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल या किसी अन्य राज्य में SIR कराने का निर्णय कब लिया जाएगा, यह उचित समय पर तय किया जाएगा। पहले, निर्वाचन आयोग ने जुलाई में बिहार में इस तरह की प्रक्रिया की आशंका जताई थी, जबकि पश्चिम बंगाल में 2002 में आखिरी बार मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया था। उस समय के आंकड़े राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 'एसआईआर, 2002 की मतदाता सूची' शीर्षक के तहत उपलब्ध हैं। इसमें राज्य के 23 जिलों में से 11 जिलों को शामिल किया गया था और 294 विधानसभा क्षेत्रों में से 103 क्षेत्रों को कवर किया गया था।


ममता बनर्जी का विरोध

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 21 जुलाई को यह कसम खाई थी कि वह बंगाल में कभी भी SIR नहीं होने देंगी। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि मतदाता सूची से किसी भी मतदाता का नाम नहीं काटा जाना चाहिए और जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बीरभूम में एक बैठक के दौरान कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद ही चुनाव आयोग कार्यभार संभालता है, तब तक प्रशासन राज्य सरकार के अधीन है।