पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के डर से युवक ने की आत्महत्या
पश्चिम बंगाल से दुखद घटना
परगना: पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर क्षेत्र से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक व्यक्ति ने मतदाता सूची से अपने नाम के हटने के भय में आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान सफीकुल गाजी के रूप में हुई है, जो पिछले कुछ महीनों से मानसिक तनाव का सामना कर रहा था।
मृतक की पृष्ठभूमि
सफीकुल गाजी उत्तर 24 परगना के घूषिघाटा का निवासी था और हाल ही में अपनी ससुराल जयपुर, भांगर में रह रहा था। परिवार के अनुसार, एक पूर्व दुर्घटना के कारण वह मानसिक रूप से परेशान था। राज्य में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया ने उसके डर को और बढ़ा दिया था।
परिवार की चिंताएँ
सफीकुल की पत्नी ने बताया कि वह लगातार इस बात से चिंतित था कि उसके पास आवश्यक पहचान पत्र नहीं हैं और उसका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा। उसने कहा, 'वह बार-बार कहता था कि उसे देश से निकाल दिया जाएगा। डर के कारण उसकी तबीयत भी बिगड़ गई थी। बुधवार सुबह चाय पीने के बाद वह बकरियों को बांधने गया और बाद में हमें पता चला कि उसने फांसी लगा ली।'
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस घटना के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर 'डर फैलाने' का आरोप लगाया है। तृणमूल के विधायक शौकत मोल्ला ने मृतक के परिवार से मुलाकात की और कहा, 'मंगलवार तक सात लोग इसी डर में जान गंवा चुके थे, अब भांगर भी इस सूची में शामिल हो गया है। यह गरीबों को डराने और वोट से वंचित करने की साजिश है।'
भाजपा का जवाब
भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, 'SIR चुनाव आयोग की नियमित प्रक्रिया है, जो पूरे देश में होती है। तृणमूल कांग्रेस इन मौतों का राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है। कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, भाजपा की नहीं।'
SIR प्रक्रिया का महत्व
स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को अपडेट करने की एक नियमित प्रक्रिया है। पश्चिम बंगाल में यह प्रक्रिया 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले चल रही है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से 'मतदाता सूचियों में गुप्त रूप से नाम हटाए जा रहे हैं।' भाजपा का कहना है कि यह केवल 'स्पष्ट और प्रमाणिक मतदाता सूची' तैयार करने की कोशिश है। इस घटना पर चुनाव आयोग की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।