पाकिस्तान का नया बंदरगाह प्रस्ताव: अमेरिका की भूमिका और भारत की चिंताएँ
भारत-पाकिस्तान संघर्ष
भारत-पाकिस्तान संघर्ष: पाकिस्तान ने अमेरिका के समक्ष अरब सागर में पासनी में एक नए नागरिक बंदरगाह के निर्माण का प्रस्ताव रखा है. यह बंदरगाह भारत के चाबहार पोर्ट से महज 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा और इसे रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
अमेरिका को क्या मिलेगा?
रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान सेना के प्रमुख असीम मुनीर के सलाहकारों ने इस प्रस्ताव पर अमेरिका के उच्च अधिकारियों से चर्चा की है, जिसकी लागत लगभग 1.2 अरब डॉलर आंकी गई है. पासनी बंदरगाह में अमेरिका को एक टर्मिनल का निर्माण और संचालन करने का अवसर मिलेगा, जिससे वह पाकिस्तान के पश्चिमी क्षेत्रों की खनिज संपदा तक पहुंच सकेगा. यह बंदरगाह अफगानिस्तान और ईरान की सीमाओं के निकट स्थित है. पाकिस्तान ने स्पष्ट किया है कि यह बंदरगाह सैन्य उपयोग के लिए नहीं होगा, बल्कि इसका उद्देश्य केवल नागरिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना है.
पाकिस्तान का भू-राजनीतिक खेल
पासनी बंदरगाह, ग्वादर से केवल 100 किलोमीटर दूर है, जहां चीन का निवेश और संचालन है. पाकिस्तान की योजना अमेरिका को पासनी से पश्चिमी प्रांतों को जोड़ने वाले रेल नेटवर्क में निवेश करने के लिए प्रेरित करना है. इससे अमेरिका का क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ेगा और अरब सागर तथा मध्य एशिया में उसके व्यापारिक विकल्पों में विस्तार होगा.
भारत के लिए संभावित चुनौती
भारत इस परियोजना पर बारीकी से नजर रख रहा है क्योंकि पासनी बंदरगाह चाबहार पोर्ट से केवल 300 किलोमीटर दूर है. भारत और ईरान ने 2024 में चाबहार पोर्ट के शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल के विकास और प्रबंधन के लिए 10 वर्षीय समझौता किया था. चाबहार पोर्ट भारत को पाकिस्तान को बायपास कर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने में मदद करता है.
भविष्य की संभावना
पाकिस्तान के पास ग्वादर में पहले से ही चीनी निवेशित बंदरगाह है, और पासनी परियोजना में अमेरिका की भागीदारी से चीन-पाकिस्तान-यूएस के बीच भू-राजनीतिक समीकरण और जटिल हो सकते हैं. यह देखना बाकी है कि अमेरिका इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है या नहीं और क्षेत्रीय प्रभावों का प्रबंधन पाकिस्तान कैसे करता है.