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पाकिस्तान की कूटनीति में उलझन: गाजा शांति प्रस्ताव पर विरोधाभास

पाकिस्तान की गाजा शांति योजना पर शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री इशाक डार के बीच टकराव ने देश की कूटनीति को विवादास्पद बना दिया है। जहां शहबाज ने अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया, वहीं इशाक ने इससे दूरी बना ली है। इस विरोधाभास ने पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित किया है और देश में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। जानें इस जटिल स्थिति के पीछे की कहानी और मुस्लिम दुनिया का रुख क्या है।
 

गाजा शांति योजना पर पाकिस्तान की दुविधा

Gaza Peace Plan: फिलीस्तीन के समर्थन का दिखावा करने वाला पाकिस्तान अब अपनी कूटनीतिक जालसाजी में उलझता नजर आ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा शांति प्रस्ताव का समर्थन कर शहबाज शरीफ ने अमेरिका को खुश करने की कोशिश की, लेकिन अब विदेश मंत्री इशाक डार उसी प्रस्ताव से दूरी बना रहे हैं। इस डबल गेम ने पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को एक बार फिर से विवादास्पद बना दिया है.


शहबाज का समर्थन और इशाक डार की दूरी

विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में स्पष्ट किया कि गाजा में इजरायल-हमास युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिकी 20-सूत्रीय योजना पाकिस्तान की नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने स्पष्ट कर दिया है कि ट्रंप द्वारा सार्वजनिक किए गए ये 20 बिंदु हमारे नहीं हैं। हमारे पास जो मसौदा था, उसमें कुछ बदलाव किए गए हैं.


हालांकि, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस अमेरिकी योजना का खुलकर समर्थन किया था। इससे साफ है कि पाकिस्तान दोनों तरफ संतुलन बनाने की कोशिश में फंस गया है। शहबाज अमेरिकी और मुस्लिम दुनिया, दोनों को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि डार इसका खंडन कर रहे हैं.


पाकिस्तान में आक्रोश और विपक्ष की प्रतिक्रिया

शहबाज शरीफ के समर्थन के बाद पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। विपक्षी दलों का आरोप है कि उन्होंने अमेरिका को खुश करने के लिए पाकिस्तान की पारंपरिक फिलीस्तीन नीति को कमजोर कर दिया। इससे पाकिस्तान की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर सवाल उठ रहे हैं.


इशाक डार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह योजना अमेरिका की पहल है और पाकिस्तान द्वारा तैयार नहीं की गई है। इस बयान ने शहबाज के समर्थन और इशाक डार की दूरी के बीच विरोधाभास को और उजागर कर दिया.


गाजा शांति प्रस्ताव और मुस्लिम दुनिया का रुख

डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रस्ताव को अरब देश भी पूरी तरह स्वीकार नहीं कर रहे हैं। आलोचक मानते हैं कि ये योजना फिलिस्तीनियों के हित में नहीं, बल्कि इजरायल के लिए तैयार की गई है। 30 सितंबर को मिस्र, जॉर्डन, कतर, सऊदी अरब, UAE, तुर्की, इंडोनेशिया और पाकिस्तान ने संयुक्त बयान जारी कर इसे समर्थन दिया था। अब पाकिस्तान इस समर्थन से पलट रहा है.


हमास को दी गई योजना में भी बदलाव किए गए हैं और फिलहाल हमास ने इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। संभावना जताई जा रही है कि वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे.