पाकिस्तान के सेना प्रमुख का विवादास्पद बयान: धार्मिक संदर्भ में भारत के साथ संघर्ष
पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने हाल ही में भारत के साथ हुए सैन्य संघर्ष को धार्मिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है। उन्होंने इस्लामाबाद में एक कांफ्रेंस में कहा कि पाकिस्तान को अल्लाह की मदद मिली, जिससे उनकी सेना को ईश्वरीय हस्तक्षेप का अनुभव हुआ। उनके बयान को पाकिस्तान में सेना की छवि को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। मुनीर ने तालिबान सरकार को भी चेतावनी दी है, यह कहते हुए कि आतंकवादी गतिविधियों में अफगान नागरिकों की बड़ी संख्या शामिल है। इस भाषण में उन्होंने जिहाद के अधिकार को केवल देश को देने की बात की, जो पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी रणनीतियों पर सवाल उठाता है।
Dec 22, 2025, 12:00 IST
पाकिस्तान के रक्षा प्रमुख का बयान
पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल असीम मुनीर, ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने भारत के साथ मई में हुए सैन्य टकराव को लेकर अपनी धार्मिक व्याख्या प्रस्तुत की। इस्लामाबाद में आयोजित नेशनल उलेमा कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि भारत के हमलों के बाद पाकिस्तान को अल्लाह की विशेष सहायता प्राप्त हुई, जिसे पाकिस्तानी सेना ने अनुभव किया। उनके अनुसार, यह सहायता चार दिनों तक चले संघर्ष के दौरान स्पष्ट रूप से देखी गई।
धार्मिक संदर्भ में संघर्ष की व्याख्या
अपने भाषण में मुनीर ने भारत के साथ संघर्ष को केवल एक सैन्य घटना के रूप में नहीं, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कुरान की आयतें पढ़कर कहा कि पाकिस्तानी सेना ने संघर्ष के दौरान ईश्वरीय हस्तक्षेप का अनुभव किया। इस बयान को पाकिस्तान में सेना की छवि को मजबूत करने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही, उन्होंने तालिबान सरकार को भी चेतावनी दी, यह कहते हुए कि पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में अफगान नागरिकों की बड़ी संख्या शामिल है।
तालिबान को स्पष्ट संदेश
असीम मुनीर ने तालिबान सरकार को स्पष्ट रूप से कहा कि उसे पाकिस्तान और तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) में से किसी एक का चयन करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसी इस्लामी राष्ट्र में जिहाद का एलान केवल देश को करने का अधिकार है, न कि किसी व्यक्ति या संगठन को। बिना देश की अनुमति के जिहाद की बात करना अवैध है। मुनीर ने पाकिस्तान की स्थापना की तुलना पैगंबर द्वारा स्थापित प्रारंभिक इस्लामी राज्य से की और कहा कि पाकिस्तान को हरमैन शरीफैन की रक्षा का सम्मान प्राप्त है।
सामरिक दृष्टिकोण
असीम मुनीर का बयान पाकिस्तान की वर्तमान रणनीतिक उलझनों और आंतरिक असुरक्षाओं का संकेत है। जब कोई सैन्य प्रमुख आधुनिक युद्ध में हार को ईश्वरीय हस्तक्षेप के रूप में समझाने लगे, तो यह उसकी कमजोरी का संकेत होता है। भारत द्वारा किए गए सटीक हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के ढांचे अब सुरक्षित नहीं हैं।
पाकिस्तान की रणनीति पर सवाल
सामरिक दृष्टि से, ऑपरेशन सिंदूर ने दक्षिण एशिया की सुरक्षा तस्वीर को नया मोड़ दिया है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवादी हमलों का जवाब सीमा पार जाकर देने में संकोच नहीं करेगा। इससे पाकिस्तान की वह रणनीति कमजोर हुई है, जिसमें वह परमाणु धमकी और अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति के भरोसे आतंकवाद को ढाल के रूप में इस्तेमाल करता रहा है।
अफगानिस्तान की स्थिति
अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। वहां की सरकार अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में पाकिस्तान की धमकी भरी भाषा हालात को सुधारने की बजाय और बिगाड़ सकती है। यदि पाकिस्तान सच में सीमा पार आतंकवाद रोकना चाहता है, तो उसे दोहरे खेल से बाहर आना होगा।
भारत के लिए संदेश
भारत के लिए यह घटनाक्रम एक स्पष्ट संदेश देता है कि पड़ोसी देश की नीति अभी भी भ्रम और अंतर्विरोध से भरी है। सामरिक स्तर पर भारत को अपनी सतर्कता और जवाबी क्षमता बनाए रखनी होगी।
असीम मुनीर का भाषण
कुल मिलाकर, असीम मुनीर का भाषण आस्था, डर और दबाव का मिला जुला दस्तावेज है। इसमें आत्मविश्वास कम और असमंजस ज्यादा झलकता है। जब सेना प्रमुख ईश्वरीय मदद की बात करने लगें, तो समझ लेना चाहिए कि जमीन पर हालात उतने मजबूत नहीं हैं जितना दिखाने की कोशिश की जा रही है।