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पाकिस्तान-चीन संबंधों में दरार: एशियाई विकास बैंक की ओर बढ़ता रुख

पाकिस्तान और चीन के बीच संबंधों में हालिया दरार के संकेत मिल रहे हैं, खासकर जब चीन ने महत्वपूर्ण ML-1 रेलवे प्रोजेक्ट से पीछे हटने का निर्णय लिया। पाकिस्तान ने अब एशियाई विकास बैंक से सहायता मांगने का निर्णय लिया है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और बहुआयामी विदेश नीति की दिशा स्पष्ट होती है। अमेरिका की रुचि भी इस परियोजना में बढ़ रही है, जो पाकिस्तान के लिए एक नई दिशा का संकेत है। इस लेख में इन सभी पहलुओं पर चर्चा की गई है।
 

पाकिस्तान और चीन के रिश्तों में बदलाव

पाकिस्तान-चीन संबंध: हाल के दिनों में पाकिस्तान और चीन के बीच संबंधों में दरार के संकेत मिल रहे हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत सबसे महत्वपूर्ण परियोजना, ML-1 रेलवे प्रोजेक्ट से चीन का पीछे हटना इन संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। पाकिस्तान ने अब इस परियोजना के लिए चीन से सहायता मांगने के बजाय एशियाई विकास बैंक (ADB) का रुख किया है और कराची-रोहरी रेलवे सेक्शन के अपग्रेडेशन के लिए ADB से 2 अरब डॉलर का ऋण मांगा है।


इस परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान के पुराने रेलवे नेटवर्क को आधुनिक बनाना है, लेकिन देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति और कर्ज चुकाने में कठिनाइयों के कारण चीन ने जोखिम लेने से मना कर दिया है। चीन पहले ही पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर चुका है और बकाया भुगतान को लेकर चिंतित है, जिससे वह अब और जोखिम भरे निवेश से बचना चाहता है।


पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाएँ

महत्वपूर्ण परियोजनाएँ


ML-1 के साथ-साथ बलूचिस्तान की रेको दिक खदान भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यहां से बड़ी मात्रा में तांबा और सोना निकाला जा सकता है, लेकिन इन खनिजों को परिवहन करने के लिए एक मजबूत रेलवे नेटवर्क की आवश्यकता है। इसी कारण ADB ने न केवल ML-1 परियोजना में रुचि दिखाई, बल्कि रेको दिक प्रोजेक्ट के लिए भी 410 मिलियन डॉलर का आश्वासन दिया है।


अमेरिका की रुचि और पाकिस्तान की नई दिशा

अमेरिका की रुचि


पाकिस्तान का यह कदम यह दर्शाता है कि वह अब केवल चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहता। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने इस निर्णय से पहले चीन से सहमति ली ताकि संबंधों में कोई खटास न आए। पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कहा कि हम एक मित्र के लिए दूसरे मित्र की बलि नहीं देंगे। अमेरिका ने भी रेको दिक प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई है, जो यह दर्शाता है कि पाकिस्तान बहुआयामी विदेश नीति की ओर बढ़ रहा है। अब वह चीन के साथ-साथ अमेरिका और बहुपक्षीय संस्थाओं जैसे ADB और IMF पर भी भरोसा कर रहा है।


CPEC का इतिहास और वर्तमान स्थिति

CPEC का इतिहास


CPEC की शुरुआत 2015 से 2019 के बीच हुई थी, जब कई हाईवे, बिजली संयंत्र और बंदरगाह का निर्माण हुआ। लेकिन 2022 के बाद से इन परियोजनाओं की गति धीमी पड़ गई है। चीनी कंपनियों को बकाया भुगतान में समस्याएँ आईं। अब ML-1 जैसी बड़ी परियोजना से चीन का हटना इस सुस्ती को और बढ़ाता है। ADB की भूमिका का बढ़ना यह संकेत देता है कि CPEC अब अपने मूल रूप में आगे बढ़ना कठिन होगा। यह बदलाव न केवल पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों को दर्शाता है, बल्कि चीन-पाकिस्तान संबंधों में आ रही खटास का भी संकेत है।