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पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर पर उठाए नए दावे, चीनी हथियारों की प्रशंसा

पाकिस्तान ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान चीनी हथियारों के प्रदर्शन को लेकर नए दावे किए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भारतीय आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तानी वायुसेना ने इस संघर्ष में असाधारण प्रदर्शन किया। यह संघर्ष 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई की। जानें इस घटनाक्रम की पूरी कहानी और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया के बारे में।
 

ऑपरेशन सिंदूर का नया मोड़

भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए चार दिवसीय तनावपूर्ण संघर्ष, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' कहा गया, पर पाकिस्तान ने कुछ नए दावे पेश किए हैं। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा है कि इस दौरान तैनात चीनी हथियार प्रणालियों ने 'असाधारण प्रदर्शन' किया। उन्होंने भारत के उन आरोपों को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान ने अपने दर्जन भर सैन्य विमानों को खो दिया।


चीनी हथियारों की प्रभावशीलता

जनरल चौधरी ने ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "हाल के चीनी प्लेटफॉर्म ने वास्तव में असाधारण तरीके से प्रदर्शन किया।" उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान कभी भी आंकड़ों या तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करता। इस संघर्ष में पाकिस्तानी वायुसेना ने चीनी निर्मित जे-10सी जेट विमानों का उपयोग किया, जिन्हें भारतीय विमानों को पराजित करने का श्रेय दिया गया। उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने संसद में बताया कि ये जेट्स भारत के हमले का जवाब देते हुए कई विमानों को निशाना बनाने में सफल रहे।


पहलगाम हमले से शुरू हुआ संघर्ष

यह घटनाक्रम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले से शुरू हुआ, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई। भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों का कार्य बताया। इसके जवाब में, 7 मई को भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइलों, आकाशतीर हवाई रक्षा इकाइयों और स्वदेशी लॉयटरिंग म्यूनिशन का उपयोग कर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।


पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई

पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जो अमृतसर समेत भारत के कई शहरों को निशाना बनाने के प्रयास में थे। भारतीय हवाई रक्षा प्रणालियों ने इन हमलों को विफल कर दिया। यह संघर्ष चार दिनों (7 से 10 मई) तक चला, जिसमें सीमा पर भारी गोलीबारी, तोपखाने और कभी-कभी टैंक युद्ध भी शामिल था। अंततः, 10 मई को युद्धविराम हुआ, जिसे भारत ने पाकिस्तान की ओर से की गई अपील का परिणाम बताया।