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पालघर में नवजात की मौत: एंबुलेंस की लापरवाही से परिवार को झेलनी पड़ी कठिनाई

महाराष्ट्र के पालघर में एक नवजात बच्चे की मौत की घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही को उजागर किया है। गर्भवती महिला को एंबुलेंस की कमी के कारण गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 15 घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करने के बाद, परिवार को निजी वाहन से अस्पताल जाना पड़ा। नवजात के पिता को आर्थिक तंगी के चलते अपने बच्चे के शव को 80 किलोमीटर तक प्लास्टिक बैग में लेकर यात्रा करनी पड़ी। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल उठाए हैं।
 

पालघर में दर्दनाक घटना

महाराष्ट्र के पालघर जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। मोखाड़ा में एक नवजात बच्चे की मौत हो गई, जो कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की लापरवाही का परिणाम है। एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचने के कारण गर्भवती महिला दर्द में चिल्लाती रही, जबकि एंबुलेंस को 15 घंटे पहले बुलाया गया था। इस घटना के दौरान नवजात के पिता को आर्थिक तंगी के चलते अपने बच्चे के शव को 80 किलोमीटर तक प्लास्टिक बैग में लेकर बस से यात्रा करनी पड़ी।


एंबुलेंस का इंतजार

26 वर्षीय अविता सखाराम कावर को सुबह 3 बजे से प्रसव पीड़ा शुरू हुई। उनके परिवार ने 108 पर एंबुलेंस के लिए कॉल किया, लेकिन जवाब मिला कि एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है। परिवार ने लगातार कॉल किए, लेकिन सुबह 8 बजे तक भी एंबुलेंस नहीं आई।


गर्भवती महिला की स्थिति

परिवार के पास कोई और विकल्प नहीं था, इसलिए उन्होंने निजी वाहन से खोडाला के प्राथमिक उपचार केंद्र जाने का निर्णय लिया। वहां के डॉक्टर ने उन्हें मोखाड़ा के ग्रामीण अस्पताल में रेफर कर दिया। लेकिन वहां भी एंबुलेंस नहीं मिली, जबकि उन्होंने स्थानीय उप केंद्र पर भी मदद मांगी। अंततः, लगभग 15 घंटे बाद, सुबह 6 बजे उन्हें मोखाड़ा के अस्पताल में भर्ती किया गया।


शव को बैग में ले जाने की मजबूरी

मोखाड़ा अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा गर्भ में ही मर चुका था। अविता को तुरंत नाशिक के जिला अस्पताल में सर्जरी के लिए भेजा गया, जहां उनकी जान बचाई गई। बच्चे के जन्म के बाद, उसे परिवार को सौंप दिया गया, लेकिन बच्चे के पिता को बिना किसी वाहन के अस्पताल के बाहर छोड़ दिया गया। आर्थिक स्थिति के कारण, पिता को मजबूरन अपने बच्चे के शव को बैग में रखकर 80 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी।