पीएम मोदी की विदेश यात्राओं का असर: भारत की वैश्विक पहचान में बदलाव
प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं का संक्षिप्त विवरण
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से 2025 के बीच लगभग 97 बार विदेश यात्रा की है, जिसमें उन्होंने 79 देशों का दौरा किया। यह संख्या भारत के किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा की गई यात्राओं से अधिक है। इन यात्राओं का उद्देश्य केवल औपचारिक मुलाकातें नहीं थीं, बल्कि हर यात्रा के पीछे भारत के राष्ट्रीय हित जुड़े थे। व्यापारिक समझौतों से लेकर रणनीतिक सहयोग तक, इन यात्राओं ने भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
भारत को मिलने वाले लाभ
इन विदेश यात्राओं ने भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत किया है। कई देशों के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग में वृद्धि हुई है, और तकनीकी एवं निवेश के नए अवसर खुले हैं। प्रवासी भारतीयों के साथ संवाद को भी बढ़ावा मिला है। अब भारत को एक संतुलित और विश्वसनीय देश के रूप में देखा जाने लगा है, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी राय को महत्व दिया जाने लगा है। यही कारण है कि आज भारत वैश्विक निर्णयों में एक प्रभावी भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकताएँ
प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान केवल एशिया तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने खाड़ी देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया, जबकि यूरोप में फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा दिया। अमेरिका के साथ रक्षा और तकनीकी सहयोग को भी आगे बढ़ाया गया। अफ्रीका में विकास और शिक्षा पर चर्चा की गई, और पड़ोसी देशों के साथ संवाद को बनाए रखा गया। यह विदेश नीति संतुलन और संवाद पर आधारित रही है।
कुवैती दिनार की ताकत
इन यात्राओं में कई मजबूत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समावेश रहा। हालांकि, दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा कुवैत की मानी जाती है। कुवैती दिनार का मूल्य अमेरिकी डॉलर और भारतीय रुपये से कहीं अधिक है। एक कुवैती दिनार कई अन्य मुद्राओं पर भारी पड़ता है, जिससे इसे दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा माना जाता है।
कुवैती दिनार की मजबूती के कारण
कुवैती दिनार की ताकत के पीछे कई कारण हैं। कुवैत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से तेल पर निर्भर है, और देश की जनसंख्या कम है। इसके अलावा, सरकार पर विदेशी कर्ज बहुत कम है, और कुवैत के पास एक बड़ा संप्रभु कोष है। इसकी मुद्रा को मजबूत मुद्राओं की टोकरी से जोड़ा गया है, जिससे इसकी कीमत स्थिर बनी रहती है। यही कारण है कि कुवैती दिनार को सबसे मजबूत मुद्रा माना जाता है।
विदेश नीति और अर्थव्यवस्था का संबंध
प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं ने कूटनीति और अर्थव्यवस्था के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित किया है। मजबूत करेंसी वाले देशों के साथ व्यापार में वृद्धि हुई है, ऊर्जा सुरक्षा पर समझौते हुए हैं, और निवेश भारत की ओर आकर्षित हुआ है। इससे रोजगार के नए अवसर बने हैं और भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजार में प्रवेश मिला है। विदेश नीति का सीधा असर आर्थिक मजबूती पर पड़ा है, जिससे भारत ने खुद को एक आर्थिक साझेदार के रूप में स्थापित किया है।
भारत की छवि में बदलाव
पिछले 11 वर्षों में भारत की वैश्विक पहचान में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। अब भारत केवल एक सुनने वाला देश नहीं रहा, बल्कि वह सुझाव देने और निर्णय लेने में सक्रिय भूमिका निभाने लगा है। प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय विदेश यात्राओं ने इस बदलाव को संभव बनाया है। अब दुनिया भारत को एक स्थिर और जिम्मेदार शक्ति के रूप में देखती है, और मजबूत रिश्ते एवं आर्थिक विश्वास इसकी पहचान बन गए हैं। यही इन 11 वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।