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पीएम मोदी ने आरएसएस के शताब्दी समारोह में भाग लिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के शताब्दी समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने विजयदशमी के महत्व और संघ की स्थापना के पीछे की सोच पर प्रकाश डाला। मोदी ने संघ के योगदान को सराहा और इसे भारतीय संस्कृति का प्रतीक बताया। जानें इस समारोह की अन्य महत्वपूर्ण बातें और पीएम मोदी के विचार।
 

विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी


PM मोदी ने आज महानवमी के अवसर पर देशवासियों को नवरात्रि की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि कल विजयादशमी का पर्व अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आरएसएस के शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही।


पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि विजयदशमी भारतीय संस्कृति के विचार और विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि 100 वर्ष पूर्व आरएसएस की स्थापना कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह एक परंपरा का पुनरुत्थान है, जो राष्ट्र चेतना को समय-समय पर नए अवतारों में प्रकट करती है।


पीएम ने खुद को सौभाग्यशाली बताया

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में आरएसएस के शताब्दी समारोह में भाग लिया। इस कार्यक्रम में उन्होंने एक विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया, जो संघ के राष्ट्र के प्रति योगदान को दर्शाता है। यह शताब्दी वर्ष विजयदशमी से लेकर 2026 तक मनाया जाएगा। पीएम मोदी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हम संघ के शताब्दी वर्ष का अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की।


संघ की 100 साल की यात्रा

आरएसएस की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा महाराष्ट्र के नागपुर में की गई थी। यह एक स्वयंसेवक-आधारित संगठन है, जिसका उद्देश्य नागरिकों में सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है। शताब्दी समारोह न केवल आरएसएस की ऐतिहासिक उपलब्धियों का सम्मान करता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा में इसके स्थायी योगदान और राष्ट्रीय एकता के संदेश को भी उजागर करता है।