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पीओके में प्रदर्शन: पाकिस्तान की नाकामी और झूठे आरोपों का पर्दाफाश

पीओके में हाल ही में हुए बड़े प्रदर्शन ने पाकिस्तान की नाकामियों को उजागर किया है। प्रदर्शनकारियों ने बिजली की कटौती, इंटरनेट सेवाओं में सुधार और स्थानीय पत्रकार की रिहाई की मांग की है। इस बीच, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत पर झूठे आरोप लगा रहा है। जानें इस स्थिति के पीछे की सच्चाई और पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के बारे में।
 

पीओके में बढ़ता जन आक्रोश

जब घर में आग लगती है, तो सच छिप नहीं सकता। आज पाकिस्तान में भी यही स्थिति है। पीओके की सड़कों पर लोगों का गुस्सा उभरकर सामने आया है, जबकि दूसरी ओर पाकिस्तान यूएन में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाकर अपनी विफलताओं को छिपाने की कोशिश कर रहा है। रावलकोट में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, यह कोई साधारण प्रदर्शन नहीं है। नारेबाजी, जुलूस और स्पष्ट मांगें सामने आई हैं: बिजली की अनियमित कटौती को समाप्त किया जाए, मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं में सुधार किया जाए, और स्थानीय पत्रकार सोहरा बरकत को तुरंत रिहा किया जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पीओके में बड़े पैमाने पर हाइड्रो पावर उत्पन्न होती है, लेकिन उसकी बिजली अन्य सूबों को भेज दी जाती है, जिससे पीओके के लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं।


पाकिस्तान की दमनकारी नीतियाँ

कमजोर नेटवर्क और इंटरनेट बैकआउट के बीच, लोग इसे सुरक्षा नहीं, बल्कि आवाज दबाने की साजिश मानते हैं। प्रदर्शन में सोहरा बरकत की रिहाई की मांग प्रमुख रही। लोगों का आरोप है कि सच को उजागर करने की सजा जेल में डालना पाकिस्तान की पहचान बन गई है। प्रदर्शनकारियों ने पीओके सरकार को शाम 5:00 बजे तक का अल्टीमेटम दिया है। चेतावनी दी गई है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा। प्रशासन के लिए यह चेतावनी एक बड़ा झटका है, क्योंकि जन आक्रोश को देखते हुए पाकिस्तान ने भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात कर दिए हैं। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान खुद पीओके की जनता से डरता है।


पाकिस्तान के झूठे आरोप

एक ओर पीओके में लोग पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यूएन में पाकिस्तान भारत पर झूठे आरोप लगा रहा है। यूएनसी में पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने कहा कि कश्मीर कभी भारत का हिस्सा नहीं था। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा मिथक है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित क्षेत्र बताया, जबकि सच्चाई यह है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पाकिस्तान ने फिर से जनमत संग्रह और पुराने झूठे दावों को दोहराया, जबकि खुद पाकिस्तान यूएन प्रस्ताव का सबसे बड़ा उल्लंघन करता है।