पुणे में पवार परिवार का राजनीतिक एकजुटता: नगर निगम चुनावों की तैयारी
पवार परिवार का नया गठबंधन
मुंबई: महाराष्ट्र में होने वाले नगर निगम चुनावों ने राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है। हाल ही में पार्टी में हुई महत्वपूर्ण टूट के बाद, पवार परिवार एक बार फिर एकजुट हो गया है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार की नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और उनके चाचा शरद पवार की एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने पुणे में एक साथ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। इससे पहले, पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम चुनावों के लिए भी दोनों दलों के बीच गठबंधन की घोषणा की गई थी, जिसे राजनीतिक हलकों में एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है।
रविवार को, उपमुख्यमंत्री अजित पवार पिंपरी-चिंचवड़ में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे, जहां उन्होंने आधिकारिक तौर पर गठबंधन की पुष्टि की। उन्होंने मंच से घोषणा की कि अब 'घड़ी' और 'तुरही' (दोनों गुटों के चुनाव चिन्ह) एक हो गए हैं। भावुक होते हुए, अजित पवार ने कहा कि 'परिवार एक साथ आ गया है'। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि वे रैलियों के दौरान विवादित टिप्पणियों से बचें और विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें। शरद पवार के पोते और विधायक रोहित पवार ने भी कहा कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ के कार्यकर्ताओं की इच्छाओं का सम्मान करते हुए दोनों पार्टियों ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
राजनीतिक गठबंधन के साथ-साथ पारिवारिक एकता की झलक बारामती में भी देखने को मिली। दिन की शुरुआत में पूरा पवार परिवार बारामती में उपस्थित था, जहां उद्योगपति गौतम अदाणी ने 'शरदचंद्र पवार सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में, अजित पवार ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे उन लोगों को सत्ता से बाहर करेंगे जिन्होंने नगर निगम को कर्ज के बोझ तले दबा दिया था। चुनाव आयोग के कार्यक्रम के अनुसार, पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे सहित राज्य के 29 नगर निकायों में 15 जनवरी को मतदान होगा और अगले दिन मतगणना की जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 30 दिसंबर है।
हालांकि, चाचा-भतीजे के इस गठबंधन से पार्टी के भीतर असंतोष के सुर भी उठने लगे हैं। पुणे के पूर्व महापौर और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के शहर इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन की योजना से नाराज होकर जगताप ने अपनी पार्टी छोड़ दी और शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। जगताप का यह कदम यह दर्शाता है कि शीर्ष नेतृत्व के निर्णय से कुछ स्थानीय नेताओं में असंतोष है।