पुतिन का भारत दौरा: ऊर्जा व्यापार पर अमेरिका का दबाव
रूस-भारत तेल व्यापार पर पुतिन की टिप्पणी
रूस-भारत तेल व्यापार: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की आलोचना की, जिसने भारत पर मास्को के साथ ऊर्जा व्यापार में कमी लाने का दबाव डाला। उन्होंने चेतावनी दी कि इसका नकारात्मक प्रभाव अमेरिका पर पड़ेगा।
सोची में अंतर्राष्ट्रीय चर्चा मंच
दक्षिण रूस के सोची में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वल्दाई चर्चा मंच में, जिसमें 140 देशों के सुरक्षा और भू-राजनीतिक विशेषज्ञ शामिल थे, पुतिन ने कहा कि यदि रूस के व्यापारिक साझेदारों पर उच्च शुल्क लगाए गए, तो वैश्विक ऊर्जा की कीमतें बढ़ेंगी। इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व को ब्याज दरें ऊंची रखने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी।
पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी
पुतिन की आगामी भारत यात्रा
रूसी राष्ट्रपति ने दिसंबर में होने वाली अपनी भारत यात्रा के लिए उत्सुकता व्यक्त की। उन्होंने भारत के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए उपाय करने का निर्देश दिया, खासकर कच्चे तेल के भारी आयात के कारण। पुतिन ने कहा कि भारत के साथ कभी कोई समस्या नहीं रही है।
भारत पर बाहरी दबाव का असर
बाहरी दबाव पर नहीं झुकेगा भारत
पुतिन ने कहा कि भारत को बाहरी दबाव के आगे झुकने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, 'भारत कभी अपमानित नहीं होगा।' यदि भारत रूसी ऊर्जा खरीदना बंद करता है, तो उसे 9 से 10 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
पुतिन और मोदी के बीच मित्रता
पीएम मोदी को बताया मित्र
पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना मित्र बताया और कहा कि वह उनके साथ अपने संबंधों में सहज महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जो आर्थिक दृष्टि से निरर्थक हो।
भारत को होने वाले नुकसान की भरपाई
भारत को होने वाले नुकसान की भरपाई
पुतिन ने कहा कि अमेरिका के दंडात्मक शुल्कों के कारण भारत को होने वाले नुकसान की भरपाई रूस से कच्चे तेल के आयात से होगी। इसके साथ ही, भारत को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठा भी मिलेगी। उन्होंने कृषि उत्पादों और दवाओं के आयात में वृद्धि की संभावना भी व्यक्त की।
यूरेनियम आपूर्ति पर पुतिन की टिप्पणी
यूरेनियम का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता
पुतिन ने अमेरिका के पाखंड की ओर इशारा किया, जो भारत जैसे देशों पर रूसी ऊर्जा आयात को लेकर दबाव डालता है, जबकि वह अन्य संसाधनों के लिए रूस पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि अमेरिका परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए यूरेनियम का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।