प्रधानमंत्री मोदी का आत्मनिर्भरता का संदेश: समुद्र से समृद्धि की ओर
समुद्री ताकत की पहचान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भावनगर से देशवासियों को आत्मनिर्भरता का एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। 'समुद्र से समृद्धि' कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे समुद्री क्षेत्र में विदेशी निर्भरता की 'गुलामी की मानसिकता' को छोड़ दें और भारत की विशाल समुद्री ताकत को पहचानें।पीएम मोदी ने भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास को याद करते हुए कहा, "एक समय था जब भारत का समुद्री व्यापार पर दबदबा था। हमारे पूर्वज समुद्रों में व्यापार करते थे, वे भिखारी नहीं थे, बल्कि सबसे बड़े और ईमानदार व्यापारी थे। लेकिन गुलामी के लंबे समय ने हमें हमारी ताकत से दूर कर दिया।"
उन्होंने आगे कहा कि अब हमें उस खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त करने का समय आ गया है और भारत को एक प्रमुख समुद्री केंद्र बनाना है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के 7,500 किलोमीटर लंबे समुद्री तट और अनगिनत समुद्री संसाधनों का उपयोग करके देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।
इस पहल के तहत: बंदरगाहों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, जिससे भारत के बंदरगाह विश्वस्तरीय बनेंगे। ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए मछली पकड़ने, समुद्री परिवहन और तटीय पर्यटन जैसे क्षेत्रों में लाखों नए रोजगार सृजित किए जाएंगे।
पीएम मोदी ने कहा, "समुद्र हमारे लिए केवल जलमार्ग नहीं है, बल्कि समृद्धि का राजमार्ग है।" उन्होंने युवाओं से इस नीली क्रांति का हिस्सा बनने और भारत को आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान देने की अपील की।
यह कार्यक्रम भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी साबित हो सकता है और आने वाले वर्षों में देश की प्रगति को नई दिशा दे सकता है।