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प्रधानमंत्री मोदी का कांग्रेस पर तीखा हमला: सिंधु जल संधि और नेहरू की गलतियों का जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए सिंधु जल संधि और पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की गलतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद लिए गए निर्णयों की सजा देश आज भी भुगत रहा है। मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत ने अब अपनी स्थिति को मजबूत किया है और पुराने समझौतों को दरकिनार कर दिया है। जानें इस महत्वपूर्ण चर्चा के बारे में और क्या कहा मोदी ने कांग्रेस के बारे में।
 

प्रधानमंत्री मोदी का लोकसभा में बयान

प्रधानमंत्री मोदी का कांग्रेस पर हमला: लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व कांग्रेस सरकारों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने पीओके, सिंधु जल संधि और बांधों से गाद निकालने के मुद्दे पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का उल्लेख किया। मोदी ने कहा, "जब भी मैं नेहरू जी का नाम लेता हूँ, कांग्रेस और उसका पूरा तंत्र भड़क उठता है। मैं एक दोहा दोहराता हूँ - लम्हों ने खता की और सदियों ने सज़ा पाई।"


आजादी के फैसलों का असर

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज़ादी के बाद लिए गए निर्णयों की सज़ा देश आज भी भुगत रहा है। पाकिस्तान ने कई वर्षों तक युद्ध और छद्म युद्ध लड़ा, लेकिन कांग्रेस सरकारों ने न तो सिंधु जल संधि की समीक्षा की और न ही नेहरू जी की उस बड़ी गलती को सुधारा। अब भारत ने उस पुरानी गलती को सुधार लिया है और एक ठोस निर्णय लिया है।


भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट की

नेहरू जी की ऐतिहासिक भूल

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेहरू जी द्वारा की गई ऐतिहासिक भूल (सिंधु जल संधि) को अब राष्ट्र और किसानों के हित में दरकिनार कर दिया गया है। यह समझौता अब इस रूप में जारी नहीं रह सकता। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते। जब भी कोई बांध बनता है, तो उसकी गाद निकालने की एक व्यवस्था होती है, लेकिन नेहरू जी ने पाकिस्तान के कहने पर यह शर्त मान ली कि भारत इन बांधों से गाद नहीं निकाल सकता।


बांध और निर्णय का अधिकार

पानी और बांध हमारे हैं

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पानी हमारा है, बांध हमारा है, लेकिन निर्णय पाकिस्तान का है! एक ऐसा बांध है जिसका गाद निकालने का गेट बना दिया गया है। पाकिस्तान ने नेहरू जी से लिखवाया था कि भारत पाकिस्तान की सहमति के बिना अपने बांध से गाद नहीं निकालेगा। यह समझौता देश के हितों के खिलाफ था। मोदी ने कहा कि 1965 के युद्ध में हमारी सेना ने हाजीपीर दर्रा वापस जीत लिया था, लेकिन कांग्रेस ने उसे फिर से वापस कर दिया।


समझदारी की कमी

1971 का युद्ध

उन्होंने कहा कि 1971 में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिक हमारे यहाँ बंदी थे और पाकिस्तान का हजारों वर्ग किलोमीटर इलाका हमारी सेना के कब्जे में था। अगर उस समय थोड़ी समझदारी होती, तो पीओके वापस लेने का निर्णय लिया जा सकता था। इतना सब होने के बावजूद, वे कम से कम करतारपुर साहिब को वापस ले सकते थे, लेकिन वे वह भी नहीं कर पाए।


कांग्रेस को अपनी गलतियों का एहसास

कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कच्चातिवु द्वीप 1974 में श्रीलंका को उपहार में दिया गया था। आज तक हमारे मछुआरे भाई-बहन वहाँ समस्याओं का सामना करते हैं, कई बार उनकी जान को खतरा रहता है। उन्होंने कांग्रेस के साथियों से अनुरोध किया कि वे एक परिवार के दबाव में आकर पाकिस्तान को क्लीन चिट देना बंद करें। कांग्रेस देश की जीत के क्षण को उपहास का क्षण न बनाए। कांग्रेस अपनी गलती सुधारे।