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प्रधानमंत्री मोदी का कांग्रेस पर हमला: पीओके और अक्साई चिन के मुद्दे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस पर तीखा हमला किया, जहां उन्होंने पीओके और अक्साई चिन के मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कांग्रेस की गलतियों को उजागर करते हुए कहा कि देश आज़ादी के बाद लिए गए निर्णयों का खामियाजा भुगत रहा है। मोदी ने कांग्रेस से सवाल किया कि किसकी सरकार ने पाकिस्तान को पीओके पर कब्जा करने दिया और अक्साई चिन को बंजर भूमि क्यों घोषित किया गया। जानें इस महत्वपूर्ण चर्चा के बारे में और क्या कहा पीएम मोदी ने।
 

प्रधानमंत्री मोदी का कांग्रेस पर हमला

प्रधानमंत्री मोदी का कांग्रेस पर हमला: लोकसभा के मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को कठोर शब्दों में जवाब दिया। इस दौरान, उन्होंने कच्चातिवु द्वीप, पीओके, अक्साई चिन और करतारपुर साहिब पर कांग्रेस की गलतियों को विस्तार से बताया। पीएम मोदी ने कहा कि देश आज़ादी के बाद लिए गए निर्णयों का दुष्परिणाम आज भी झेल रहा है। कांग्रेस ने मुझसे पूछा कि मैंने पीओके वापस क्यों नहीं लिया? पीएम मोदी ने कहा कि पहले उन्हें इस सवाल का जवाब देना चाहिए।


प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि किसकी सरकार ने पाकिस्तान को पीओके पर कब्जा करने की अनुमति दी? अक्साई चिन को बंजर भूमि क्यों घोषित किया गया? उन्होंने यह भी बताया कि 1971 में पीओके को वापस लिया जा सकता था। करतारपुर साहिब भी लिया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि 1971 में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिक हमारे पास बंदी थे और पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा हमारी सेना के नियंत्रण में था।


पीओके वापस लेने का अवसर

पीओके वापस लिया जा सकता था

उन्होंने कहा कि यदि उस समय थोड़ी दूरदर्शिता और समझदारी होती, तो पीओके को वापस लेने का निर्णय लिया जा सकता था। इसके बावजूद, कम से कम करतारपुर साहिब तो वापस लिया जा सकता था, लेकिन वह भी नहीं हो सका। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को उपहार में दे दिया गया था, जिसके कारण हमारे मछुआरे वहां समस्याओं का सामना कर रहे हैं, कई बार उनकी जान को खतरा भी होता है।


अक्साई चिन का मुद्दा

अक्साई चिन को बंजर घोषित किया गया, क्यों?

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अक्साई चिन को बंजर घोषित करने के कारण हमें देश की 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि खोनी पड़ी। 1962-63 के बीच कांग्रेस के नेता जम्मू-कश्मीर के पुंछ, उरी, नीलम घाटी और किशनगंगा को छोड़ने का प्रस्ताव दे रहे थे, और यह सब 'शांति रेखा' के नाम पर किया जा रहा था। 1966 में इन लोगों ने कच्छ के रण पर मध्यस्थता स्वीकार कर ली।


कांग्रेस की गलतियों पर सवाल

कांग्रेस अपनी गलती सुधारे

एक बार फिर, कांग्रेस ने लगभग 800 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पाकिस्तान को सौंप दी, जिसमें क्षनबेत भी शामिल था। 1965 के युद्ध में हाजीपीर दर्रा हमारी सेना ने वापस जीत लिया था, लेकिन कांग्रेस ने उसे फिर से लौटा दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के हितों को गिरवी रखना कांग्रेस की आदत बन गई है। नकारात्मकता कांग्रेस की पुरानी आदत है। कांग्रेस को अपनी गलतियों को सुधारने की आवश्यकता है।