प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन: जीएसटी सुधारों से बढ़ेगी बचत और स्वदेशी अपनाने की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि से पहले एक महत्वपूर्ण संबोधन में जीएसटी 2.0 को 'डबल तोहफा' बताया। उन्होंने स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की और कहा कि नए जीएसटी सुधारों से आम जनता को सीधा लाभ होगा। मोदी ने बताया कि जीएसटी लागू होने से पहले लोगों को कई टैक्सों का सामना करना पड़ता था, जिससे गरीबों पर बोझ बढ़ता था। नए सुधारों से हर वर्ग को लाभ होगा, जिससे बचत बढ़ेगी और व्यापार में आसानी होगी। जानें उनके संबोधन की अन्य महत्वपूर्ण बातें।
Sep 21, 2025, 17:42 IST
प्रधानमंत्री मोदी का विशेष संबोधन
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन, नई दिल्ली: नवरात्रि से एक दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण संबोधन दिया। उन्होंने जीएसटी 2.0 को लोगों के लिए 'डबल तोहफा' बताया। पीएम मोदी ने कहा कि नए जीएसटी सुधारों से आम जनता को सीधा लाभ होगा—यात्रा सरल होगी, वाहन खरीदना आसान होगा और हर परिवार की बचत में वृद्धि होगी।
स्वदेशी अपनाने की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, "हमारी जिंदगी में कई विदेशी चीजें शामिल हो गई हैं, हमें इनसे मुक्ति पानी होगी। हमें उन सामानों को खरीदना चाहिए जो 'मेड इन इंडिया' हैं, जिन्हें हमारे लोगों ने अपने श्रम से बनाया है। हर दुकान को स्वदेशी से सजना चाहिए और हर भारतीय गर्व से कहे—ये है स्वदेशी, मैं हूँ स्वदेशी।"
जीएसटी का प्रभाव
पीएम मोदी ने बताया कि जीएसटी लागू होने से पहले, करोड़ों लोगों और कंपनियों को विभिन्न टैक्सों के जाल से गुजरना पड़ता था। सामान को एक शहर से दूसरे शहर भेजने की लागत इतनी बढ़ जाती थी कि इसका बोझ गरीबों पर पड़ता था। उन्होंने कहा, "2014 में जब हमें जिम्मेदारी मिली, तो हमने जीएसटी को प्राथमिकता दी। सभी राज्यों और हितधारकों के सहयोग से यह बड़ा टैक्स सुधार संभव हुआ।"
बचत और ख्वाहिशें पूरी होंगी
पीएम मोदी ने कहा कि नए जीएसटी सुधारों से सभी वर्गों को लाभ होगा। "अब आपकी बचत बढ़ेगी, आप अपनी पसंदीदा चीजें खरीद सकेंगे। ये सुधार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे व्यापार आसान होगा, निवेश आएगा और हर राज्य विकास की दौड़ में शामिल होगा।"
व्यापारियों की कठिनाइयाँ
पीएम मोदी ने पुराने समय का जिक्र करते हुए कहा, "पहले व्यापारी एंट्री टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्साइज, सर्विस टैक्स, वैट जैसे कई टैक्सों में उलझे रहते थे। सामान को एक शहर से दूसरे शहर भेजने में कई फॉर्म भरने पड़ते थे। किसी विदेशी अखबार ने लिखा था कि बेंगलुरु से हैदराबाद सामान भेजना इतना कठिन था कि कंपनियाँ बेंगलुरु से यूरोप भेजकर फिर वहां से हैदराबाद मंगवाने को प्राथमिकता देती थीं। यही उस समय की सच्चाई थी।"