प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस की शताब्दी पर की सराहना
आरएसएस की शताब्दी समारोह की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री का संबोधन
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने की पूर्व संध्या पर संघ और उसके स्वयंसेवकों की प्रशंसा की। उन्होंने शताब्दी समारोह में कहा, 'संघ के स्वयंसेवकों ने कभी भी कटुता नहीं दिखाई। चाहे कितनी भी बाधाएं आई हों, उनका मंत्र हमेशा यही रहा है कि जो अच्छा है, और जो कम अच्छा है, सब हमारा है।' यह ध्यान देने योग्य है कि आरएसएस की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी। इस अवसर पर, मुख्य समारोह 2 अक्टूबर को नागपुर में संघ के मुख्यालय में आयोजित किया जाएगा।
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के योगदान को दर्शाने वाला एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक निरंतर देश की सेवा में लगे हुए हैं और समाज को सशक्त बना रहे हैं, जो इस डाक टिकट में भी दर्शाया गया है। उन्होंने कहा, 'मैं इसके लिए देश को बधाई देता हूं।' मोदी ने यह भी बताया कि संघ ने हमेशा राष्ट्र की भावना को प्राथमिकता दी है और 1984 के दंगों के दौरान सिखों की रक्षा की थी।
संघ की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'अन्याय पर न्याय, अंधकार पर प्रकाश की जीत... यह भारतीय संस्कृति के विचार और विश्वास का अमिट उद्घोष है। आरएसएस की स्थापना एक सौ साल पहले एक संयोग नहीं था, बल्कि यह हजारों साल की परंपरा का पुनरुत्थान था, जिसमें राष्ट्र चेतना समय-समय पर चुनौतियों का सामना करने के लिए नए रूप में प्रकट होती है। संघ उसी अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार है।'
इस अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी ने घुसपैठियों के मुद्दे को भी उठाया और कहा, 'अन्य देशों पर आर्थिक निर्भरता और जनसंख्या में बदलाव के षड्यंत्र जैसी चुनौतियों का सामना हमारी सरकार तेजी से कर रही है। स्वयंसेवक होने के नाते मुझे गर्व है कि संघ ने इसके लिए एक ठोस रोडमैप तैयार किया है। हमें घुसपैठियों से सतर्क रहना होगा।' आरएसएस दशहरा से अपने शताब्दी वर्ष कार्यक्रम की शुरुआत कर रहा है।