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प्रधानमंत्री मोदी ने एआई के दुरुपयोग रोकने के लिए वैश्विक समझौते का किया आह्वान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक वैश्विक समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने तकनीकी अनुप्रयोगों को मानव-केंद्रित बनाने और ओपन सोर्स पद्धति को अपनाने की बात की। मोदी ने कहा कि एआई का उपयोग वैश्विक भलाई के लिए होना चाहिए और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रभावी मानव निगरानी और पारदर्शिता आवश्यक है। उन्होंने प्रतिभा गतिशीलता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
 

जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि महत्वपूर्ण तकनीकों को वित्तीय केंद्रित दृष्टिकोण के बजाय मानव-केंद्रित होना चाहिए।


जोहानिसबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र में बोलते हुए, मोदी ने कहा कि तकनीकी अनुप्रयोगों को 'राष्ट्रीय' के बजाय 'वैश्विक' दृष्टिकोण से विकसित किया जाना चाहिए और इन्हें 'विशिष्ट मॉडल' के बजाय 'ओपन सोर्स' पद्धति पर आधारित होना चाहिए।


यह 'ओपन सोर्स' पद्धति सभी के लिए मुफ्त उपलब्धता को दर्शाती है। मोदी ने बताया कि इस दृष्टिकोण को भारत के तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष अनुप्रयोगों, एआई और डिजिटल भुगतान में भारत ने वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रगति की है।


जी20 शिखर सम्मेलन का तीसरा सत्र 'सभी के लिए एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण भविष्य-महत्वपूर्ण खनिज; सभ्य कार्य; कृत्रिम बुद्धिमत्ता' विषय पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का उपयोग वैश्विक भलाई के लिए किया जाए और इसके दुरुपयोग को रोका जाए। इसके लिए, हमें कुछ मूल सिद्धांतों पर आधारित एआई के लिए एक वैश्विक समझौते की आवश्यकता है, जिसमें प्रभावी मानव निगरानी, डिज़ाइन के माध्यम से सुरक्षा, पारदर्शिता और 'डीप फेक', अपराध और आतंकवादी गतिविधियों में एआई के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध शामिल हैं।'


उन्होंने कहा कि मानव जीवन, सुरक्षा या सार्वजनिक विश्वास को प्रभावित करने वाली एआई प्रणालियों को जिम्मेदार और ऑडिट योग्य होना चाहिए। मोदी ने यह भी कहा, 'सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एआई को मानव क्षमताओं को बढ़ावा देना चाहिए, लेकिन निर्णय लेने की अंतिम जिम्मेदारी हमेशा इंसानों के पास रहनी चाहिए।'


उन्होंने आगे कहा कि एआई के इस युग में हमें अपने दृष्टिकोण को 'आज की नौकरियों' से बदलकर तेजी से 'कल की क्षमताओं' की ओर ले जाना चाहिए। मोदी ने कहा, 'नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिभा गतिशीलता को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। हमने दिल्ली जी-20 में इस विषय पर प्रगति की है। हमें उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में जी-20 प्रतिभा गतिशीलता के लिए एक वैश्विक ढांचा विकसित करेगा।