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प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में साझा की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' के 123वें एपिसोड में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उत्सव, तीर्थ यात्राओं की शुरुआत, और स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को साझा किया। विशेष रूप से, उन्होंने ट्रैकोमा से मुक्ति की घोषणा की, जो एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सफलता है। इस एपिसोड में मोदी ने देशवासियों को प्रेरित करने के लिए कई उदाहरण दिए, जो उनकी उपलब्धियों और भारत की प्रगति को दर्शाते हैं।
 

प्रधानमंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 29 जून को “मन की बात” के 123वें एपिसोड में देशवासियों से संवाद करते हुए कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला। उनके भाषण में चार मुख्य बिंदु शामिल थे—अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, तीर्थ यात्राओं की शुरुआत, स्वास्थ्य क्षेत्र में मिली उपलब्धियाँ, और आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ।


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: पिछले दस वर्षों की निरंतरता के साथ, प्रधानमंत्री ने बताया कि 21 जून को देश और दुनिया भर में योग दिवस का उत्सव मनाया गया। यह पहल अब वैश्विक स्वास्थ्य और आत्मिक संतुलन का प्रतीक बन चुकी है। उन्होंने तेलंगाना में 3,000 दिव्यांगों द्वारा एक साथ योग करने, जम्मू-कश्मीर के चेनाब पुल पर आयोजित कार्यक्रम, और दिल्ली में यमुना तट पर स्वच्छता के साथ सम्पन्न योग कार्यक्रम का उल्लेख किया।


गुजरात के वडनगर में 2,121 लोगों ने एक साथ भुजंगासन करते हुए नया रिकॉर्ड बनाया। इसके अलावा, न्यूयॉर्क, टोक्यो, लंदन और पेरिस से आई तस्वीरों में योग की एकता, शांति और संतुलन का प्रदर्शन हुआ। मोदी ने बताया कि इस वर्ष का विषय था “युग योग – पृथ्वी, स्वास्थ्य, जीवन”, जो “वसुधैव कुटुंबकम” के संदेश को भी दर्शाता है।


तीर्थ यात्राओं की शुरुआत: प्रधानमंत्री ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा के पुनः आरंभ होने की जानकारी दी, साथ ही अमरनाथ गुफा यात्रा 3 जुलाई से शुरू होने वाली है। उन्होंने तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं दीं और बताया कि यात्रा पर निकलने का अनुभव आध्यात्मिक होता है। उन्होंने सेवा और मानवता के आयोजन की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया।


स्वास्थ्य सफलता: ट्रैकोमा से मुक्ति: प्रधानमंत्री ने गर्व से बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को ट्रैकोमा (आंखों का संक्रमण) से मुक्त घोषित किया है। यह बीमारी पहले कई क्षेत्रों में अंधेपन का कारण बनती थी, लेकिन भारत ने व्यापक टीकाकरण, स्वच्छता और “SAFE” नीति (सर्जरी, एंटीबायोटिक्स, फेसल हाइजीन, पर्यावरण सुधार) के माध्यम से इसे समाप्त कर दिया।