प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' पर की महत्वपूर्ण चर्चा
प्रधानमंत्री का संबोधन
नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के शीतकालीन सत्र के आठवें दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' पर चर्चा की। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि यह केवल एक गीत या राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम और मातृभूमि की आजादी के लिए एक पवित्र संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने सभी सांसदों का आभार व्यक्त किया कि इस महत्वपूर्ण विषय पर सामूहिक चर्चा का मार्ग चुना गया है।
वंदे मातरम् का महत्व
पीएम मोदी ने कहा, "जब बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 'वंदे मातरम्' की रचना की, तब यह स्वाभाविक रूप से स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। यह हर भारतीय का संकल्प बन गया। इस गीत में मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए बलिदान का उल्लेख है। यह शक्ति का आह्वान है।"
इतिहास में 'वंदे मातरम्'
उन्होंने बताया कि 'वंदे मातरम्' उस समय लिखा गया जब 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार ने अत्याचार की नीतियां लागू की थीं। इस कठिन समय में, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 'वंदे मातरम्' लिखकर भारतीयों में साहस और आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की।
संस्कृति और मातृभूमि का सम्मान
प्रधानमंत्री ने कहा, "जब हम 'वंदे मातरम्' कहते हैं, तो यह हमें वैदिक युग की संस्कृति की याद दिलाता है। यह गीत मातृभूमि की मुक्ति की पवित्र जंग का प्रतीक है और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का सम्मान करता है।"
संसद में एकता का संदेश
उन्होंने सदन में सभी सांसदों से कहा कि इस अवसर पर पक्ष-प्रतिपक्ष का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह समय है 'वंदे मातरम्' के ऋण को स्वीकार करने का, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदानों से पूरा किया।