प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना, एसआईआर पर चर्चा की आवश्यकता
विपक्ष की रणनीति पर प्रधानमंत्री का बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए सांसदों की बैठक में विपक्ष की रणनीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने की आदत है। यह बयान उन्होंने पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में हुई चर्चा के संदर्भ में दिया। मोदी का तात्पर्य था कि विपक्ष ने स्वयं ही सत्ता पक्ष को अवसर प्रदान किया, जिसे सत्ता पक्ष ने भुनाया और विपक्ष को पूरी तरह से मात दे दी। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस कार्य में कुशल हैं।
इस स्थिति में सवाल उठता है कि जब प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी बहस में विपक्ष को परास्त करने में सक्षम हैं, तो फिर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा क्यों नहीं हो रही है? विपक्ष इस मुद्दे को उठाता आ रहा है, लेकिन मानसून सत्र के पहले दिन से इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। सरकार इस पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है।
एसआईआर पर चर्चा की आवश्यकता
यदि सरकार को अपने निर्णयों पर विश्वास है, तो जैसे पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करके विपक्ष का जवाब दिया गया, उसी तरह एसआईआर पर भी जवाब देना चाहिए। यह स्पष्ट है कि संसद में पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के बाद अब कोई इस पर सवाल नहीं उठा रहा है। अब यह नहीं पूछा जा रहा है कि भारत को कितना नुकसान हुआ या अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार क्यों कह रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया।
इसी प्रकार, यदि एसआईआर पर चर्चा हो जाए, तो यह विवाद भी समाप्त हो जाएगा। विपक्ष को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा और प्रधानमंत्री के अनुसार, सत्तापक्ष को जवाब देने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एसआईआर का मामला केवल बिहार तक सीमित नहीं है। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में भी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी राजनीतिक दलों को सूचित किया गया है कि वे अपने बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) की सूची प्रस्तुत करें। ये बीएलए मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान चुनाव आयोग के बूथ लेवल ऑफिसर्स और मतदाताओं की सहायता करते हैं। तमिलनाडु में भी इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो चुकी है। अगले वर्ष जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां चुनाव आयोग एसआईआर करेगा। इसलिए यह मुद्दा जल्द ही समाप्त नहीं होगा। अंततः सरकार को इस पर चर्चा करनी होगी।