×

प्रधानमंत्री मोदी ने शिपबिल्डिंग क्षेत्र के लिए 70 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं की घोषणा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भावनगर में 'समुद्र से समृद्धि' कार्यक्रम के दौरान शिपबिल्डिंग क्षेत्र के लिए 70 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं की घोषणा की। इन योजनाओं से भारत की समुद्री शक्ति में वृद्धि होगी और लगभग दो करोड़ रोजगार के अवसर पैदा होंगे। मोदी ने बताया कि भारत वर्तमान में शिपबिल्डिंग में 16वें स्थान पर है और पिछले 50 वर्षों में यह क्षेत्र कमजोर हुआ है। उन्होंने तीन प्रमुख योजनाओं का विवरण दिया, जिनमें वित्तीय सहायता और विकास फंड शामिल हैं।
 

समुद्र से समृद्धि कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घोषणाएं

गुजरात के भावनगर में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'समुद्र से समृद्धि' कार्यक्रम के दौरान शिपबिल्डिंग क्षेत्र के लिए 70 हजार करोड़ रुपये की तीन प्रमुख योजनाओं का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि ये योजनाएं भारत की समुद्री ताकत को बढ़ाएंगी और लगभग दो करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न करेंगी.


समुद्री क्षेत्र का विकास आवश्यक

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समुद्री क्षेत्र का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा, 'चिप हो या शिप, हमें इन्हें भारत में ही बनाना होगा।' इस अवसर पर उन्होंने 34,200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।


भारत की जहाज स्वामित्व स्थिति

प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि वर्तमान में शिपबिल्डिंग और जहाज स्वामित्व में भारत का स्थान 16वां है, और देश के पास मौजूद जहाजों में से केवल 7 प्रतिशत ही भारत में निर्मित हैं। पिछले 50 वर्षों में यह क्षेत्र लगातार कमजोर हुआ है। उन्होंने बताया कि 50 साल पहले भारत का 40 प्रतिशत व्यापार घरेलू जहाजों से होता था, जो अब घटकर केवल 5 प्रतिशत रह गया है.


तीन योजनाओं का विवरण

घोषित योजनाओं में से पहली योजना के तहत 25 हजार करोड़ रुपये शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम में दिए जाएंगे। दूसरी योजना में 25 हजार करोड़ रुपये का मैरिटाइम डिवेलपमेंट फंड स्थापित किया जाएगा, जो इस क्षेत्र के लोगों को दीर्घकालिक सहायता प्रदान करेगा। तीसरी योजना 20 हजार करोड़ रुपये की होगी, जो ग्रीनफील्ड शिपबिल्डिंग मेगा क्लस्टर्स के विकास, भूमि कनेक्टिविटी और बंदरगाह विस्तार के लिए होगी.


विदेशी नौवहन कंपनियों की लागत

मोदी ने बताया कि भारत हर साल विदेशी नौवहन कंपनियों को लगभग 75 अरब डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपये, माल ढुलाई के लिए देता है। यह धन विदेशों में रोजगार उत्पन्न करता है, जबकि भारत इससे वंचित रह जाता है। उन्होंने कहा कि यदि पिछली सरकारों ने इस क्षेत्र में निवेश किया होता, तो आज भारत जहाज निर्माण और नौवहन सेवाओं में एक वैश्विक शक्ति बन चुका होता.


नौवहन व्यवस्था में सुधार

प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि अब देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को 'एक राष्ट्र, एक दस्तावेज' और 'एक राष्ट्र, एक बंदरगाह' की प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा, जिससे व्यापार और कारोबारी गतिविधियों में सरलता आएगी। उन्होंने बताया कि पांच समुद्री कानूनों को नया रूप दिया गया है, जिससे प्रशासन और नौवहन व्यवस्था में बड़े बदलाव होंगे। मोदी ने कहा कि बड़े जहाजों को अब बुनियादी ढांचे का दर्जा दिया गया है, जिससे जहाज निर्माण कंपनियों को बैंकों से ऋण लेना आसान होगा और उन्हें कम ब्याज दरों का लाभ मिलेगा.