प्रशांत किशोर का बड़ा फैसला: क्या बिहार की राजनीति में आएगा बदलाव?
प्रशांत किशोर का ऐतिहासिक निर्णय
नई दिल्ली: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक ऐसा निर्णय लिया है जिसने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने अपने दिल्ली स्थित निवास को छोड़ने और अपनी सम्पत्ति को पार्टी को दान करने की घोषणा की। इसके साथ ही, उन्होंने अगले पांच वर्षों में अपनी सलाहकार आय का 90 प्रतिशत हिस्सा जन सुराज को देने का वादा किया। यह कदम तब उठाया गया जब उनकी पार्टी पिछले चुनाव में 238 सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई।
समर्पण का समय
प्रशांत किशोर ने कहा कि हार के बाद अब समर्पण का समय आ गया है, और राजनीति संघर्ष के बिना नहीं जीती जा सकती। उन्होंने यह घोषणा चंपारण के गांधी आश्रम में 24 घंटे के उपवास के बाद की।
महिलाओं की आर्थिक शक्ति
उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी का अगला चरण गांवों से शुरू होगा, न कि मंच से। 15 जनवरी से, पार्टी हर वार्ड में जाकर सरकारी वादों की वास्तविकता को जनता के सामने लाएगी। किशोर ने कहा कि बिहार की महिलाओं को बिना शर्त 10,000 रुपये दिए गए, लेकिन दो लाख रुपये के लिए अधिकारियों ने अड़चनें खड़ी की हैं। जन सुराज अब डेढ़ करोड़ महिलाओं के फॉर्म भरवाने की मुहिम शुरू करेगा।
संसाधनों की आवश्यकता
प्रशांत किशोर ने जनता से सालाना कम से कम 1000 रुपये पार्टी को दान करने की अपील की। उनका कहना है कि आंदोलन चलाने के लिए संसाधनों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लड़ाई केवल भाषणों से नहीं, बल्कि संगठन और फंड के माध्यम से जीती जाती है।
महिलाओं का आंदोलन
उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले महीनों में जन सुराज कार्यकर्ता हर वार्ड में दस्तक देंगे और महिलाओं को फॉर्म भरवाकर सरकारी कार्यालयों में जमा करवाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया इतनी कठिन बना दी गई है कि गरीब महिलाएं समझ नहीं पा रही हैं।
त्याग या रणनीति?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतनी बड़ी संपत्ति का दान करना एक गहरा संदेश है। यह दिखाता है कि नई राजनीति केवल बातों से नहीं, बल्कि निजी हितों के त्याग से शुरू होती है।
गठबंधन की आवश्यकता?
प्रशांत किशोर ने स्वीकार किया कि 2025 विधानसभा चुनाव में जन सुराज को हर सीट पर कठिन चुनौती का सामना करना होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि अब समय भावनाओं का नहीं, बल्कि जमीन पर उतरने का है।
15 जनवरी का महत्व
अब सवाल यह है कि क्या यह संपत्ति दान और त्याग का संदेश बिहार के मतदाताओं को प्रभावित कर पाएगा। क्या जन सुराज की नई मुहिम महिलाओं के माध्यम से राजनीतिक समीकरण बदल सकती है? 15 जनवरी को एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है।