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प्रशांत किशोर ने बिहार में युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के बड़े वादे किए

प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में एक नई पहल की है, जिसमें उन्होंने युवाओं के लिए रोजगार, बुजुर्गों के लिए पेंशन और गरीब बच्चों के लिए शिक्षा के बड़े वादे किए हैं। उनका अभियान 'जन सुराज' इस साल नवंबर से बिहार की प्राथमिकताओं को बदलने का दावा करता है। किशोर ने जनता से अपील की है कि वे नेताओं के चेहरे को देखकर नहीं, बल्कि अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर वोट दें। जानें उनके वादों और बिहार की राजनीतिक स्थिति के बारे में अधिक जानकारी।
 

प्रशांत किशोर का नया अभियान

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, जो अब एक नेता के रूप में उभरे हैं, बिहार की राजनीति में एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने बुधवार को घोषणा की कि छठ पूजा के बाद राज्य के युवाओं को 12,000 रुपये तक का रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही, 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी बुजुर्गों को 2,000 रुपये की मासिक पेंशन और गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया।


प्रशांत किशोर ने अपने अभियान 'जन सुराज' के तहत नई 'व्यवस्था' का उल्लेख करते हुए कहा कि इस साल नवंबर से बिहार की राजनीतिक दिशा और प्राथमिकताएं बदलेंगी। उनका दावा है कि "गरीबी समाप्त होगी, पलायन रुकेगा, और शिक्षा व रोजगार हर परिवार तक पहुंचेगा।"


मुख्य वादों पर एक नजर: युवाओं के लिए रोजगार: छठ पूजा के बाद बिहार में युवाओं को फैक्ट्री और उद्योग से संबंधित रोजगार दिया जाएगा, जिसकी मासिक आय 12,000 रुपये तक होगी। बुजुर्गों के लिए पेंशन: दिसंबर 2025 से 60 वर्ष से ऊपर के सभी पुरुष और महिलाओं को 2,000 रुपये की मासिक पेंशन दी जाएगी। बच्चों के लिए शिक्षा: जब तक सरकारी स्कूलों में सुधार नहीं होता, तब तक बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार निजी स्कूलों को देगी, ताकि गरीब परिवारों के बच्चे भी अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा प्राप्त कर सकें।


प्रशांत किशोर ने जनता से अपील की कि बिहार को अब केवल चुनावी नारों की नहीं, बल्कि ठोस नीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस बार वोट देते समय नेताओं के चेहरे को देखकर नहीं, बल्कि अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लें। उनका मानना है कि बिहार की असली जरूरत रोजगार, शिक्षा और बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान है।


राजनीतिक तंज और सामाजिक सरोकार: तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच चल रहे विवाद पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि राज्य की जनता को इन पारिवारिक झगड़ों से कोई लेना-देना नहीं है। उनका कहना है कि "बिहार की असली चिंता युवाओं का पलायन है, न कि नेताओं की आपसी खींचतान।"