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प्रियंका गांधी ने चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल, मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम हटाए जा रहे हैं। उन्होंने आयोग की प्रक्रियाओं में खामियों की ओर इशारा किया और सवाल उठाया कि आयोग मतदाता सूची साझा क्यों नहीं कर रहा है। इस विवाद ने राजनीतिक माहौल में गर्मी बढ़ा दी है, खासकर राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों के बाद। जानें इस मुद्दे पर प्रियंका गांधी का क्या कहना है और चुनाव आयोग का क्या रुख है।
 

प्रियंका गांधी का चुनाव आयोग पर आरोप

कांग्रेस की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी संख्या में नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। प्रियंका ने शुक्रवार को कहा कि आयोग की प्रक्रियाओं में कई खामियां हैं, जिनका राजनीतिक लाभ उठाया जा रहा है।


उन्होंने कहा, 'याचिका के अनुसार हलफनामा 30 दिनों के भीतर जमा किया जा सकता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। फिर हलफनामा मांगा ही क्यों जा रहा है? यदि कोई जानबूझकर गलती कर रहा है, तो उसकी जांच होनी चाहिए।' प्रियंका ने यह भी सवाल किया कि आयोग मतदाता सूची साझा क्यों नहीं कर रहा है और इस मामले में जांच से क्यों बच रहा है। उन्होंने कहा, 'क्या उन्हें यह नहीं समझ आता कि विधानसभा चुनाव में हर मतदाता कितना महत्वपूर्ण है?'


राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

वास्तव में, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा 'वोट चोरी' के आरोपों पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया ने एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। राहुल ने हाल ही में मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था, जिस पर चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर बयान जारी किया।


आयोग ने राहुल के आरोपों को भ्रामक बताया और कहा कि यदि वे अपने दावों को सही मानते हैं, तो उन्हें वोटर रजिस्ट्रेशन नियम 1960 के तहत एक घोषणा या शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपना चाहिए। इस पर प्रियंका गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।


प्रियंका ने चुनाव आयोग के रवैये पर उठाए सवाल

प्रियंका गांधी ने चुनाव आयोग के इस रवैये को सवालों के घेरे में लेते हुए कहा कि आयोग कार्रवाई के बजाय हलफनामा मांगने में व्यस्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग को पहले इस मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए। प्रियंका ने कहा कि यदि कोई जानबूझकर गलती हुई है, तो चुनाव आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह इसकी पूरी जांच करे।


उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग मतदाता सूची उपलब्ध क्यों नहीं करा रहा है। 'आप हमें मतदाता सूची क्यों नहीं दे रहे हैं? आप जांच क्यों नहीं कर रहे हैं? इसके बजाय आप कह रहे हैं कि हलफनामा साइन करके दो। इससे बड़ी शपथ क्या है जो हम संसद में लेते हैं?' प्रियंका ने यह भी कहा कि आयोग का यह रवैया पारदर्शिता के सिद्धांत के खिलाफ है।


राजनीतिक सरगर्मी में वृद्धि

इस विवाद ने चुनावी माहौल में राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा दिया है। कांग्रेस राहुल गांधी के आरोपों को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है, जबकि चुनाव आयोग अपने आधिकारिक बयान में प्रक्रिया का हवाला दे रहा है। प्रियंका गांधी के बयान से स्पष्ट है कि कांग्रेस इस मुद्दे को केवल तकनीकी बहस तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि इसे लोकतंत्र और पारदर्शिता के सवाल के रूप में जनता के बीच ले जाने का इरादा रखती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या रुख अपनाता है और विपक्ष इसे चुनावी हथियार के रूप में कैसे इस्तेमाल करता है।