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बख्तियारपुर विधानसभा सीट पर सियासी हलचल: कौन होगा एनडीए का उम्मीदवार?

बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र होने के नाते यह सीट एनडीए के लिए महत्वपूर्ण बन गई है। 2020 के चुनाव में आरजेडी के अनिरुद्ध यादव ने जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा के रणविजय यादव का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। अब सवाल यह है कि एनडीए किसे टिकट देगा? भाजपा नए चेहरे पर दांव लगाने की योजना बना रही है, जिसमें सुधीर कुमार यादव का नाम प्रमुखता से उभर रहा है। जानें इस सीट की सियासी जंग के बारे में और क्या संभावनाएं हैं।
 

बख्तियारपुर का राजनीतिक इतिहास

बिहार के पटना जिले का बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र हमेशा से राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यह क्षेत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र है और एनडीए के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रतीक बन चुकी है। इस सीट का राजनीतिक इतिहास दिलचस्प है, क्योंकि 1995 तक यह कांग्रेस के प्रभाव में थी, लेकिन इसके बाद आरजेडी और बीजेपी के बीच प्रतिस्पर्धा का मैदान बन गई। 2020 में आरजेडी के अनिरुद्ध यादव ने जीत हासिल की थी, जबकि 2015 में भाजपा के रणविजय यादव ने यह सीट जीती थी.


अब सवाल यह है कि इस बार एनडीए किसे टिकट देगा। आरजेडी अपने मौजूदा विधायक अनिरुद्ध यादव को फिर से टिकट देने की योजना बना रही है। वहीं, एनडीए में इस सीट को लेकर कई दावेदार हैं। भाजपा को यह सीट दी जाने की संभावना है, क्योंकि यह हमेशा से भाजपा के कोटे में रही है। हालांकि, भाजपा के अंदर कई पुराने चेहरों के बीच दावेदारी को लेकर असमंजस बना हुआ है.


भाजपा के पुराने चेहरे और नए विकल्प

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र की यह सीट भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हो गई है। 2015 में विधायक बने रणविजय यादव का प्रदर्शन 2020 के बाद से लगातार खराब रहा है। उन्हें विधानसभा और पंचायत चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है, जिसका असर उनकी टिकट दावेदारी पर पड़ सकता है।


सूत्रों के अनुसार, भाजपा इस बार किसी नए और युवा चेहरे पर दांव लगाने की योजना बना सकती है। बख्तियारपुर के कार्यकर्ता सुधीर कुमार यादव का नाम इस दिशा में उभरकर सामने आ रहा है। सुधीर यादव ने 1999 में यादव समाज के अधिकांश लोगों को भाजपा की ओर मोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


जातीय समीकरण और चुनावी संभावनाएं

सुधीर कुमार यादव के पास एक मजबूत जातीय आधार है, जो उन्हें चुनावी मैदान में मजबूती प्रदान करता है। वह यादव समुदाय के कृष्नौत वर्ग से आते हैं, जो बख्तियारपुर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। यहां यादव वोटरों की संख्या लगभग 90 हजार है। इसके अलावा, अन्य जातीय वर्गों का भी प्रभाव क्षेत्र में मौजूद है, जैसे राजपूत, भूमिहार, मुस्लिम, कुर्मी और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर।


भविष्य में, बख्तियारपुर विधानसभा सीट पर भाजपा और आरजेडी के बीच की सियासी जंग ने पूरे क्षेत्र का माहौल गर्म कर दिया है। यह सीट हमेशा किसी न किसी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक रही है। अब बख्तियारपुर की राजनीति में एक नया मोड़ आने वाला है, जहां पुराने और नए चेहरों के बीच मुकाबला होगा.