बरेली में 'आई लव मोहम्मद' अभियान: क्या है असली कहानी?
बरेली में अचानक शुरू हुआ अभियान
उत्तर प्रदेश में 'आई लव मोहम्मद' अभियान के अचानक शुरू होने के पीछे की कहानी क्या है? यह अभियान नवरात्रि के दौरान बरेली में लोगों को इकट्ठा करने के निर्णय के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषण को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, क्या इसे किसी फिल्म के संवाद लेखक ने लिखा था? इस घटनाक्रम पर कई पत्रकार और सोशल मीडिया प्रभावशाली लोग सवाल उठा रहे हैं। उनका मानना है कि यह सब एक पूर्व निर्धारित योजना के तहत हुआ है। यदि यह स्वंयस्फूर्त होता, तो यह इतनी आसानी से समाप्त नहीं होता।
तौकीर रजा की अपील और उसके परिणाम
सूत्रों के अनुसार, बरेली के मौलाना तौकीर रजा ने जुमे की नमाज के बाद लोगों को इकट्ठा होने के लिए कहा, लेकिन उनकी अपील पर बहुत कम लोग आए। इसके बावजूद, उन्होंने जुलूस निकाला, जिसे पुलिस ने लाठीचार्ज करके तितर-बितर कर दिया। इसके बाद तौकीर रजा को हिरासत में लिया गया। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने लगातार अपने भाषणों में कई प्रभावशाली संवाद बोले।
मुख्यमंत्री का संवाद और मीडिया की भूमिका
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, 'याद रखना, जब भी दुस्साहस करोगे, ऐसे पिटोगे, जैसे बरेली के अंदर पीटे गए हो...'। इसके बाद बलरामपुर में एक सभा में उन्होंने कहा कि गजवा ए हिंद का सपना देखने वालों का जहन्नुम का टिकट कट जाएगा। यह सब मीडिया में छपने के बाद मुख्यमंत्री ने इसकी क्लिपिंग भी साझा की। उनकी मीडिया टीम ने हर जगह सुनिश्चित किया कि घटना के वीडियो प्रसारित हों और मुख्यमंत्री के भाषणों के क्लिप मीडिया समूहों और प्रभावशाली लोगों को भेजे जाएं।
क्या यह चुनावी रणनीति है?
बरेली की घटना के बाद मुख्यमंत्री का हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव बनाना क्या आगामी चुनावों की तैयारी का हिस्सा है? यह सवाल उठता है कि क्या कुछ और संकेत हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।