बांग्लादेश में तारिक रहमान की वापसी: चुनावी राजनीति में नया मोड़
बांग्लादेश में कट्टरपंथ और राजनीति
भारत और बांग्लादेश भले ही अलग देश हैं, लेकिन कट्टरपंथियों की सोच में कोई अंतर नहीं है। मजहब के आधार पर नफरत फैलाना इनकी पुरानी आदत बन चुकी है। बांग्लादेश अब हिंदुओं के नरसंहार का एक नया केंद्र बन गया है। इस बीच, बांग्लादेश की राजनीति में 17 साल बाद एक पुराना चेहरा फिर से सामने आया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने अपने देश में वापसी की है।
तारिक रहमान, जो पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे हैं, 17 साल बाद ढाका लौटे हैं। उनके स्वागत में एक लाख से अधिक पार्टी कार्यकर्ता जुटे।
तारिक रहमान का चुनावी अभियान
बांग्लादेश में अगले साल 12 फरवरी को होने वाले आम चुनावों में 60 वर्षीय तारिक रहमान प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। अपनी पहली रैली में, उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सभी धर्मों के लोगों का देश है। उनकी पार्टी एक ऐसा सुरक्षित बांग्लादेश बनाना चाहती है, जहां सभी नागरिक बिना किसी डर के अपने घरों से बाहर निकल सकें।
तारिक ने यह भी कहा कि वे देश में शांति स्थापित करेंगे और एक नया बांग्लादेश बनाएंगे।
अवामी लीग पर प्रतिबंध
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। इस स्थिति में, तारिक रहमान पीएम पद के लिए प्रमुख उम्मीदवार बन गए हैं। उनकी वापसी ऐसे समय में हुई है जब देश में दो युवा नेताओं की हत्या के बाद राजनीतिक अस्थिरता और अशांति का माहौल बना हुआ है।